________________
प्रथम दौर
१:
शंका १२ कुगुरु, कुदेव, कुशास्त्रकी श्रद्धाके समान सुदेव, सुशाम्न, सुगुरुकी श्रद्धा भी मिथ्यात्व है, क्या ऐसा मानना या कहना शास्त्रोक्त है ?
समाधान १ कुगुरु, कुदेव, कुशास्त्रको श्रद्धा गृहीत मिथ्यात्व है तथा सुदेव, सुशास्त्र, सुगुरुकी श्रद्धा व्यवहारसम्यग्दर्शन है । इमो तथ्यको स्पष्ट करते हुए श्री नियमसारजीमें कहा है
अत्तागमतच्चाणं सदहणादो हवेइ सम्मत्तं ॥५॥ अर्थ-अन. आग और नन्दोक पक्षातो रकम होता है। उसकी टोकामें स्पष्टीकरण करते हुए लिखा है
म्यवहारसम्यक्रवस्वरूपाण्यानमेतत् । यह व्यवहार सम्पनत्वके स्वरूपका कथन है। सम्यग्दाष्टके ऐसी श्रद्धा अवश्य होती है और वह ऐसे कथनको शास्त्रोक्त मानता है।