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जयपुर (खानिया ) तवचर्चा और उसकी समीक्षा
बहुतसे विद्यमान रहते हैं फिर भी उनमें एकका दूसरे साथ साध्य साधकभाव माना जाना अनिवार्य नहीं होता है। दूसरी बात यह है कि जिस तरह आप सहचर होने के कारण व्यवहार धर्मको निश्चयधर्मका साधक कहते हैं उसी तरह सहचर रहनेवाले निश्चयधर्मको क्या आप व्यवहारधर्मका साधक मानते है ?
उपरोक्त प्रमाणोंके आधार पर यह सिद्ध होता है कि आगम में व्यवहारधर्मको निश्चयधर्म का साधक सहचर होनेके कारण नहीं माना गया है। यदि माना गया हो तो कृपया आप स्पष्ट कीजिये ।
व्यवहारधर्म निश्चयधर्म में साधक है, या नहीं ? प्रतिशंका २ का समाधान
शंका ४ में व्यवहारधर्म निश्चयधर्मका साधक है या नहीं? यह पृच्छा की गई थी। इसके उत्तर प बतलाया गया था कि उत्पत्तिको अपेक्षा तो व्यवहारधर्म निश्चयधर्मका साधक नहीं है, क्योंकि निश्चय की सर्वदा सर्वत्र एकमात्र स्वभाव के आश्रयसे हो उत्पति होती है। नयचक्र में कहा भी है
हारो बंध मोक्खो जम्हा सहावसंजुत्तो ।
लम्हा कुरु तं गउणं सहावमा राहणाकाले ॥७७॥
अर्थ - अतः व्यवहारसे बन्ध होता है और स्वभावका आश्रय लेनसे मोक्ष होता है, इसलिए स्वभावकी आराधना काल में अर्थात् मोक्षमार्ग में व्यवहारको गौण करो ॥७७॥८
इस सम्बन्धी प्रतिशंकामें प्रवचनसार, पञ्चास्तिकाय, परमात्मप्रकाश और द्रव्यसंग्रह विविध प्रमाण उपस्थित कर जो यह सिद्ध किया गया है कि व्यवहारधर्म निश्चय धर्मका साधक है सो वह कथन असदभुत व्यवहारकी अपेक्षा ही किया गया है। यही कारण है कि श्रीजयसेनाचार्यने पञ्चास्तिकाय गाथा १०५ की टीकामें और द्रव्यसंग्रह पृ० २०४ में व्यवहार रत्नत्रय को परंपरा से निश्ववरत्नत्रयका साधक कहा है। श्री पतिप्रवर टोडरमलजी साब ने मोक्षमार्गप्रकाशक में इस विषयको स्पष्ट करते हुए लिखा है
सम्यग्दृष्टि शुभोपयोग भए निकट शुद्धोपयोग प्राप्ति होय ऐसा मुख्यपना करि कहीं शुभोपयोग शुद्धयोगका कारण भी कहिए है। पृ० ३७७ दिल्ली संस्करण
श्री पंचास्तिकाय गाथा १०५ की जयसेनाचार्यकृत टीकामें और बृहद्रव्य संग्रह टीका पृ० २०४ में मोक्ष - जो व्यवहारधर्मको निश्चयधर्मका परम्परासे साधक कहा है सो वह इसी अभिप्रायसे कहा है । वस्तुतः मार्ग एक हो है । उसका निरूपण दो प्रकारका है। इसलिए जहाँ निश्चय मोक्षमार्ग होता है वहाँ उसके साथ होनेवाले व्यवहारधर्मरूप रामपरिणामको व्यवहार मोक्षमार्ग आगम में कहा है और यतः वह सहचर होनेसे निश्चय मोक्षमार्गके अनुकूल हैं, इसलिए उपचारसे निश्चय मोक्षमार्गका साधक भी कहा है। श्रीपंडितप्रवर टोडरमलजीने खुलासा करते हुए लिखा है
जहां सांचा मोक्षमार्गको मोक्षमार्ग निरूपण सो निश्चय मोक्षमार्ग है और जहाँ जो मोक्षमार्ग