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दारा सोलटटव पिता
( ३७२) जैनस्तोत्रसन्दोहे। [कर्तृनाम
पल्लसमा जोअणदससहस्स पिहला सहस्समोगाढा । __ चउसद्विसहस्सुच्चा फलिहमया पुक्खरिणमज्झे ॥११॥ सोलसदहिमुहगिरिणो अंजण दहिमुहनगोवरितलेसु ।
जोयणसयदीह तयद्धवित्थडा दुगसयरिमुच्चा ॥१२॥ बहुविविहरूवरूवगविचित्तविच्छित्तिभत्तिसयकलिया।
पत्तेयं जिणभवणा तोरणझयमंगलाइजुया देवासुरनागसुवण्णनामगा नामसरसुरा रक्खा ।
पिहुप्पवेसाइ चउरोसिं . ' ॥१४॥ पइदारं कलासाई मुहुमंडवपिच्छमंडपक्खाडा।
मणिपीढथूम पडिमा चियतरुझयपुक्खरिणिओ य ॥१५॥ अटुच्च सोलसाई पिहुला मणिपीढिया जिणहरं तो।
तदुवरि देवच्छंदा रयणमया साहियपमाणा ॥१६॥ तत्थुसभवद्धमाणय-चंदाणण-वारिसेण-नामाणं ।
सासय जिणपडिमाणं पलियंकनिसण्णदुसयं ॥१७॥ पइपडिमपुरो दो दो नागपडिमजक्खभूअकुंडधरा।
दहओ दो चमरधरा पिढे छत्तधरपडिमेगा ॥१८॥ तह घंटा वंदण घड भिंगारायरिसयाइ सुपइट्ठा।
पुप्फाइणेगचंगिरि पडिलच्छत्तासणा एय ॥१९॥ इअ सुत्तवुत्तमाए सुय दुपुक्खरिणि अंतरे दो दो।
रइकरग नगावत्तीसमेसु पुव्वंव जिणभवणा ॥२०॥
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