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विहितम् ]
नन्दीश्वरद्वीपस्तोत्रम्।
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नंदीश्वरद्वीपस्तोत्रम्।
वंदिय नंदियलोयं जिणविसरं विमलकेवलालोयं । नंदीसरचेइयसंथवेण थोसामि तं चेव ॥ १ ॥ जोयणकोडिसय तिस? चउरसी लक्खवलयविक्खंभो । अंदमदीवो नंदोसरु त्ति सइविलसिरसुरोहो ॥२॥ तत्थ हु मज्झे चउरो दिसासु अंजणगिरी धवलवण्णा । जोवण सहस्स चुलसीइ सूसिया सहस्समवमाढा ॥३॥ भूमितले दससहसा चउणंघइसबसहस्समुवरितले। . पिहुला अडवीसं सतिगं व दसंसो उ खयवुढी ॥ ४ ॥ पुवदिसि देवरमणो निच्चुजोओ य दाहिणदिसाए ॥ अवरदिसाए उ सयंपभ-रमणिज्जो उत्तरे पासे ॥ ५ ॥ अंजणगाण चउदिसि जोयणलक्खंमि लक्खविखंभा । पुक्खरिणीओं सहस्सव्वेहा निम्मच्छसबछजला ॥ ६ ॥ नंदिसेण अमोहा य मोतुमा या ३ सुदंसणा' । नंदुत्तरा य नंदा सुनंदा नंदिवद्धणाः ॥ ७ ॥ भद्दा विसाला कुमुया बारसी पुंडरीमिमी । विजया य वैजयंती जयंती अपराजिया ॥ ८ ॥ पुव्वा य कमा नाना पुक्खरिणीणं तओ य पंचसए । गंतूण लक्खदीहा वणसंडा पंचसयपिहुला ॥ ९ ॥ पुवेण असोगवणं दाहिणओ ताण सत्तिवण्णिवणं । चंपगवणमवणुत्तरेणु सन्वाणुभूअवर्ण ॥ १० ॥
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