SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 501
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ३६२) जैनस्तोत्रसन्दोहे। [श्रीशुमसुन्दर wwwra चच्चरि धूलिभिमंतिऊण जह सामिणि मंतिणि .. खग्गपहारविआर जंति तह तुहं जिण! नामिणि ॥१४॥ ॐ तवीवरमंतलद्धजवकक्खणसुद्धी नरगोसामी मंत पत्त घड विसहरलद्धी । गोलाइ अ महदिव्वभीइनिन्नासणतप्पर अज्जुणमंतपहावि हुज्ज तुह जिण ! नामक्खर ॥१५॥ सिरिवरकुक्करि खित्तवाल बलमंत भयंकरदुद कढिणहिअवेरवग्ग खय जंति अ तकर । अवचूरिः। रक्त पावइ पच पचइ पीडा करइ तु स्वामी देवतानी आज्ञा छइ" ६४ चच्चर धूलिमभिमंत्र्य खड्गप्रहारं विकाश्य भ्रियते शस्त्राघातोपशमः ॥१४॥ “ॐ नमो तवी चक्री चडी श्रीमहादेव भरडानइं कन्हई गह चीखली थांभाविकादची घा मुद्रिकादि कथ्यते परं ताप्याकरो न लगति तथा क्रियते आस्ये पुनः पुनर्भण्यते दिव्यस्तम्भः। “ॐ नमो कालो कूकडो थालि उघाडह भाज स्वामी छडी चडवडइ आरडइ चुंहक्या जाइ पराणा डाचु फाडइ तुगोस्वामीनी आण" १३ भणिवा घटे करः क्षिप्यते फूत्करोति, न परं दशति । “ॐ नमो अर्जुन काठइ अर्जुन प्रज्वलइ कंठरुंधा भारसोवन्न भिराडी व्यंतरी चीखला कादवी सर्पतणी वीस कोहली खाइ " इणि मंत्रि बावन्नपल तैल थंभउ बावन्नपल लोह थे, श्रीकमल ओल्हाइ फुरउ श्रीदातारनी आज्ञा ॥" अंबर महिअल सो पायारु, झंपा मन्दिर करी झाल । पत्रपूतक हनुमंत वीर सती सीता देखइ अग्नि बलइ अग्नि पग्नि तुं पायसे जेही महं पाणी ७ सर्वदिव्यस्तम्भः ॥ १५ ॥ - “ॐ नमो क्करा क्षेत्रपाल कणयरीवर्ण रुद्र विकराल, अम्ह सिउ करइ आलमाल, तेह सिरि उठइ ब्रह्मजाल, अम्ह सिउ करइ ते मरइ प्रभु Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.090206
Book TitleJain Stotra Sandohe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChaturvijay
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1932
Total Pages662
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, & Worship
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy