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रहितम्] सरस्वतीस्तोत्रम् (३५) इय भत्तिसत्तिभरण निम्मिउं सत्थसंथवगोयरो
अक्खीणधारिम 'मेरुनंदणु' मुत्तिसरिसीमंधरो । सग्गाइकामियचित्तकामियकप्पपायवु जंगमो
महु झाणगाणगुणाणुराइण देउ नियपयसंगमो ॥३१॥
[१०७] अष्टोत्तरशतनामगर्भितं श्रीसरस्वतीस्तोत्रम् ।
धिषणा धीर्मतिर्मेधा वाग् विभावा सरस्वती ।
गीर्वाणी भारती भाषा ब्राह्मणी मागधिप्रिया ॥ १ ॥ सर्वेश्वरी महागौरी शाङ्करी भक्तवत्सला ।
रौद्री चाण्डालिनी चण्डा भैरवी वैष्णवी जया ॥ २ ॥ गायत्री च चतुर्बाहुः कौमारी परमेश्वरी ।
देवमाताऽक्षया चैव नित्या त्रिपुरभैरवी ॥ ३ ॥ त्रैलोक्यस्वामिनी देवी माङ्का कारुण्यसूत्रिणी ।
शूलिनी पद्मिनी रौद्री लक्ष्मी पङ्कजवासिनी ॥ ४ ॥ चामुण्डा खेचरी शान्ता हुङ्कारा चन्द्रशेखरी । वाराहा विजयाऽन्तर्द्धा की ही सुरेश्वरी ॥ ५ ॥
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