SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 405
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२६६ ) जैनस्तोत्रसन्दोहे [श्रीधर्मघोष व्यन्तराणां भेदाः पिसाय-भूअ-जक्खा य रक्खसा किन्नरा य किंपुरिसा । महोरगय गंधब्वा वणट्ठ रयणाइसयहिट्ठा ॥३२॥ अणपण्णी पणपण्णी इसिवाई भूअयाइसे कंदे । महकंदे कोहंडी पयगे रयणाइमसयंतो ॥३३॥ ज्योतिष्क-वैमानिकप्रकाराः पंचविहा जोइसिआ ससि–रवि-गह-रिक्ख-तारयाभेआ। बारसहा कप्पसुरा ऽकप्पाइआ दुदसविहा उ ॥३४॥ सोहम्मीसाण-सणंकुमार-माहिंद-बंभ-लंतयया । सुक–सहस्साराणय-पाणय-आरण-अचुअकप्पा ॥३५॥ सुदरिसण-सुपडिबद्धे मणोरमे सव्वभद्द-सुविसाले। सुमाणस-सोमणसे विअ पिअंकराइच्चणुत्तरया ॥३६॥ प्राणाः इग-बि-ति-चउरिंदिअ सन्नि असन्नि चउ छग सग? नव दस य। पाणा ऊसासाउग पणिंदि तणु-वइ-मण-बलित्ति ॥३७॥ पूरंतो इअ भमिओ तुमे अदिम्मि नाह ! दिठ्ठोऽसि । संपइ मुत्तिजिअत्तं देहि जहिं पनरविह सिद्धा ॥३८॥ पंचदशसिद्धभेदाः तित्थातित्थ जिणाजिण गिहि-अण्ण-सलिंग-थीनर-नपुंसा । पत्तेअ-सयंबुद्धा बुद्धबोहिक्कणिगसिद्धा ॥३९॥ ते साइअणंतठिई अकाय-तणु-भवठिई अ कम्मवई । दिंतु अजोअणिकुलठिईणंतविरिअधम्मकित्तिठिई ॥४०॥ - - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.090206
Book TitleJain Stotra Sandohe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChaturvijay
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1932
Total Pages662
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, & Worship
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy