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________________ त्रिविरचितम्] श्रीजीवविचारस्तवनम् (२६५) चतुर्धा पञ्चेन्द्रियास्तत्र सप्तविधा नारकाः पंचिंदिआ उ चउहा नारय-तिरिआ-मणुस्स देवा य । नेरइआ सत्तविहा नेया नरयप्पुढविनामा ॥२३॥ रेयणपह-सकरपहा बालअपह पंपकह अ धूमपहा । तमपह-तमत्तमपहा सत्त अहोऽहो नरयपुढवी ॥२४॥ तिर्यग्जीवभेदाः जलयर-थलयर-खयरा तिविहा ओहेण तिरिअपंचिंदी । सुसुमार-मच्छ-कच्छव-गाहा–मगराइ जलचारी ॥२५॥ चउपय उरपरिसप्पा भुयपरिसप्पा य थलयरा तिविहा । इगखुर-दुक्खुर-निखुरा चउपय खर-गो-गय-सुणाई ॥२६॥ उरपरिसप्पय साली-दिइ गोणस-गोर-कसिण-सप्पाई । भूअपरिसप्पय घिरोलय नउलुंदर-गोह-सरडाई ॥२७॥ खयरा रोमयपक्खी चम्मयपक्खी य पायडा चेव । नरलोगाओ बाहिं समुग्गपक्खी विययपक्खी ॥२८॥ सव्वे जल-थल-खयरा सम्मुच्छिम-गब्भया दुह नरा य । कम्माकम्मगमहिया अंतरदीका तिहा मणुआ ॥२९॥ देवनिकायभेदाः भवणवइ-वाणमंतर-जोइस-वेमाणिआ चउह देवा । दस-अटू-पंच-दुविहा बोद्धव्वा उवरुवरि कमसो ॥३०॥ भवनपतीनां १० मेदाः असुरा नाग-सुवण्णा विजु-गी-दीव-उदहि-दिसि-वाऊ । थणि कुमारा जोअणसहसाहो भवणवइ दसहा ॥३१॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.090206
Book TitleJain Stotra Sandohe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChaturvijay
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1932
Total Pages662
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, & Worship
File Size8 MB
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