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(९८) . जैनस्तोत्रसन्दोहे [श्रीदेवेन्द्र
अदमि सिद्धो नेमी वसुपुज्जो निव्वुओ चउद्दसीए । सावणबहुले तइआ सिद्धिगओ जयइ सेयंसो ॥ २३ ॥ सत्तमि चवणमणंते अदमि नमिजम्म नवमि कुंथुचुई। सियबीय चुओ सुमई पंचमि छट्ठि नेमिजम्मवया ॥२४॥ पासस्ससृमिमुक्खो सुव्वयचुई पुण्णिमाई भदवए । संतिससिचवणमुक्खा सत्तमि अटुमि सुपासचुई ॥ २५॥ सियनवमि सुविहिमुक्खो नेमिस्सासोय अमावसानाणं । पुण्णिमचुई नेमि जिणवल्लह पयं देसु पगयाणं ॥ २६ ॥
[३५] श्रीदेवेन्द्रमूरिभिः कृतः श्रीआदिदेवस्तवः।
सिरिरिसहनाह ! तुह पयनहर्कतीओ जयंतु तिजयस्स । जंतीओ वजपंजरभाव भावारिभीयस्स ॥ १ ॥ तुह कमकमलं विमलं दटुं दूराउ देव ! पइदिवसं । धन्ना कलिमलमुक्का रायमरालुव्व धावंति ॥ २ ॥ असरिसभवदुहदंदोलिघोलियाण जियाण जयनाह !। तं चिय इक्को सरणं सीयत्ताणं व दिणनाहो ॥३॥
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