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सूरिप्रणोतम्]
पञ्चकल्याणकस्तोत्रम्
(९७)
सिजंसजम्म सुव्वयनाणं बारसिहि दिक्ख सेयंसे । तेरसि चउदसि जम्मो पनरसि दिक्खा य वसुपुजे ॥ १२ ॥ सियबिय चउत्थि अटुमि चवणं अरमल्लिसंभवजिणाणं । बारसि मुक्खो मल्लिस्स जयइ मुणिसुव्वयवयं च ॥ १३ ॥ चित्ताइ चउत्थि पासे चवणं नाणं च पंचमी चवणं । ससिणो उसमे अटुमि जम्मवया सुद्धतइआणं ॥ १४ ॥ कुंथूनाणं पंचमि सिद्धी संभव–अणंत-अजियाणं । नवमी मुक्खो सुमइस्स नाणमिक्कारसीईए ॥ १५ ॥ तेरसि जम्मो वीरे पुण्णिम पउमस्स नाण महबहुले । वइसाह पडिवि बीआ कुंथू तह सीयले मुक्खो ॥ १६ ॥ पंचमिहि कुंथुदिक्खा सीयलचुइ छट्ठि दसमि मुक्खो । तेरसि जम्मो चउद्दसि दिक्खानाणा अणंतस्स ॥ १७ ॥ चउदसि जाओ कुंथू सियचउत्थि चुओभिनंदणो जयइ । सत्तमि धम्मोवि चुओ अटुमि अभिनंदणो सिद्धो ॥ १८ ॥ जम्मटुमि नवमि लयं सुमइजिणे दसमि केवलं वीरो। बारसि तेरसि चुइ विमले अजिय अह जिट्ठबहुलम्मि ॥१९॥ छट्टि चुई सेयंसे सुव्वयजम्मटुमी नवमि मुक्खो । जम्मो मुक्खो तेरसि चउदसि दिक्खा य संतिस्स ॥ २० ॥ सियपंचमीइ मुक्खो धम्मे नवमी य वासुपुजचुई। बारसि सुपासजम्मो तेरसि दिक्खा सुपासस्स ॥ २१ ॥ आसाढाइचउत्थी उसभचुई सत्तमी विमलमुक्खो। नमिदिक्खा नवमीए सियछट्ठीइ वीरजिणचवणं ॥ २२ ।।
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