________________
( ९६ )
जैनस्तोत्रसन्दोहे
[ श्रीजिनवल्लभ
वुच्छं चुइ–जम्मण–दिक्ख - नाग - निव्वाणकल्ला ॥ १ ॥ कत्तियबहुले पंचमि संभवनाणं दुवालसीइ चुओ । नेमिचुइ पउमजम्मो तेरसि पउम दिक्खा || २ ॥ पनरसि मुक्खो वीरे सिय बारसि चुई अरसुविहिनाणं । मग्गसिर कसिणपंचमि जम्मो सुविहिस्स छट्ठ वयं ॥ ३ ॥ दसमी वीरदिक्खा इक्कारसि पउमनाहनिव्वाणं । सियदसमि जम्म मुक्खो अरस्स इक्कारसी पुणो ॥ ४ ॥ अरदिक्खा नमिनाणं मल्लिजिणे जम्मदिक्खनाणाणि । चउदसि जम्मो पुण्णिम निक्खमणं संभवजिणस्स ॥ ५ ॥ पोसाइ दसमिगारसि पासे बारसी तेरसी ससिणो । जहसंखं जम्मवया सीयलनाणं चउदसीए ॥ ६॥ सुद्धे छुट्टी विमले नवमी संतिरिसगारसी अजिए । अभिनंदणे चउद्दसि पुण्णिम धम्मे य नाणं च ॥ ७ ॥ माहाइ छट्ठि पउमचुइ बारसी सीयलस्स जम्मवया । तेरसि मुक्खो उसमे सिज्जंसेमावसा नाणं ॥ ८ ॥ सियबीय नाणजम्मा वसुपुज्जभिनंदणाण अह जम्मो । तइआइ विमलधम्माण चउत्थि दिक्खाइ विमलस्स ॥ ९ ॥ अट्ठमि जम्मो अजिए नवमी - बारमी - तेरसीसु वयं । अजियभिनंदणधम्माग फग्गुणकसिणछट्टीए ॥ १० ॥ नाणं सुपास सत्तमि सुपासमुक्खो ससिस्स नाणं च । सुविहिचुई नवमीए इक्कारसि नागमुसभस्स ॥ ११ ॥
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org