SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 228
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विनिर्मितम् ] श्रीद्वादशाङ्गीपदप्रमाणकुलकम् नायाधम्मकहंगे अद्धच उत्थकोडीकलाक लिए । पण लक्खा छावत्तरि सहस उवासगदसा अंगे ॥ ४ ॥ सत्तंमि लक्खिगारस सहस्स बावन्न अद्रुमे अंगे । अंत गडदसानामे लक्खा तेवीस च सहस्सा || ५ || तहणुत्तरोववाई नवमे अंगंमि लक्ख छायाला । अडसहसा अह दसमे पण्हावागरणनामि || ६ ॥ बाणवई लक्खाई सोल सहस्सा तहा विवागसुए । इक्कारसमे अंगे पयप्पमाणं इमं वुच्छं ॥ ७ ॥ एगा कोडी चुलसी लक्खा बत्तीस सहस्स इअ माणं । इक्कारस अंगाणं भणिअमहं बारसंगंमि ॥ ८ ॥ तं पुण दिट्ठीवाओ स पंचहा वण्णिओ अ समयंमि । परिकम्मसुत्तपुव्वगय - णुओग तह चूलिआओ अ ॥ ९॥ तत्थ य पुव्वगयंमि पढमे उप्पायनामए पुग्वे । कोडी एगा अह बीअ अग्गेणियंमि पुव्वंमि ॥ १० ॥ छण्णवई लक्खाई तइए वीरि अपवायपुव्वंमि । पलक्खाई सत्तार अहत्थिनत्थिष्पवामि ॥ ११ ॥ तुरिए पुव्वं सट्ठी लक्खा अह पंचमंमि पुव्वंमि । नाणपवायनामे इग कोडी एगपयहीणा ॥ १२ ॥ agar gods कोडि छहि पएहिं अहिआ । आयप्पवायव्वे सत्तमि पयकोडि छब्बीसा ॥ १३ ॥ Jain Education International ( ८९ ) For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.090206
Book TitleJain Stotra Sandohe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChaturvijay
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1932
Total Pages662
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, & Worship
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy