SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 214
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २०६ जैनशासन इनने में कड़ा कोलाहल हुआ कि भगवान् आदिनाथ प्रभु हमारे पालन-निमित्त पघारे हैं, चलो शीघ्र जाकर उनका दर्शन करें तथा भक्तिपूर्वक उनको पूजा करें। "भगवानादिकर्ताऽस्मान् प्रपालयितुमागतः । पश्यामोऽत्र द्रुतं गत्वा पूजयामश्च भक्तितः ।।" -महापु० पर्व २०-४५ । कोई कोई कहते थे कि-श्रुप्तिमें सुनते थे कि इस जगत्के पितामह हैं । हमारे सौभाग्यसे उन सनातन प्रभुका प्रत्यक्ष दर्शन हो गया। इनके दर्शनसे नेत्र सफल होते हैं, इनको चर्पा सुनने से कर्म कुतार्थ होते है। इन प्रभुका स्मरण करनेसे अज्ञ प्राणी भी अन्तःनिर्मलताको प्राप्त करता है । उस समय प्रभुदर्शनको उत्तष्ठासे अहमहमिकाभावपूर्वक पुरवासियोंका समुदाय महाराज श्रेयांसके महल तक इकट्ठा हो गया । उस समय सिद्धार्थ नामक द्वारपालने तत्काल जाकर महाराज सोमप्रभ तथा श्रेयांस कुमारसे भगवान के आगमनका समाचार निवेदन किया । जब श्रेयांस महाराजने भगवान्का दर्शन किया, तब उन्हें जाति-स्मरणजन्मान्तरकी स्मृति प्राप्त हो गई। अतः पुरातन संस्कारके प्रभावसे आहारदान देने में बुद्धि उत्पन्न हुई । उनको वह स्मरण हो गया कि हमने धारणऋद्धिधारी मुनिपुगलको श्रीमतो और वन जंधके रूपमें आहारदान दिया था। इस पुण्य स्मतिकी सहायतासे श्रेयांस महाराज ने इक्षु रसकी धाराके समर्पण द्वारा एक वर्षकै महोपघासी जिनेन्द्र आदिनाथ प्रभुत निमित्त से अपने भाम्मको पवित्र क्रिया । १. "श्रूयते यः श्रुतश्रुत्या जगकपितामहः । स नः सनातनो दिष्टया यातः प्रत्यक्षसन्निधिम् ॥ दृष्टेऽस्मिन् सफले नेथे धुतेऽस्मिन् 'सफले श्रुतो । स्मतेऽस्मिन जन्तुरजोऽपि जत्यन्तः पवियताम् ।।४९-५०।। अहं पूर्वमहं पूर्वमिन्युपेतैः समन्ततः ।। तदा रुधमभूत् पौरेः पुरनाराज मन्दिरात् ।। ६३ ।। ततः सिद्धार्थतामैत्य दुसे दीवारपालकः । भगवत्सन्निधि राज्ञे मानुजाय न्यवेदयत् ।।६९॥ संप्रेक्ष्य भगवद्रूपं श्रेयान जातिस्परोऽभवत् ।। ततो दाने मति चक्र संस्कारैः प्राक्तनयंतः ।।७८॥" आदिपुराण पर्व २० ।
SR No.090205
Book TitleJain Shasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages339
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Culture
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy