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________________ पूर्वाचल प्रदेश का जैन समाज /65 जारी रखा । धीरे-धीरे नया मन्दिर बनने लगा और सन् 1975 में वहां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन किया गया। इसके दो वर्ष पश्चात् सन् 1977 में ही विजय नगर में दूसरी पंचकल्याणक प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। नवनिर्मित मन्दिर का नाम श्री दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर रखा गया। वैसे वर्तमान मन्दिर की रचना संवत् 2014 में हुई थी। मन्दिर में 241 मूर्तियां विराजमान हैं । इनमें मुख्य वेदी में 11 मूर्तियां विराजमान हैं । 226 मूर्तियां समवसरण में हैं तथा 4 मूर्तियां गुम्बज में हैं। मन्दिर के पीछे ही एक धर्मशाला है जिसमें त्यागी, वती, विद्वान एवं यात्रियों के लिये ठहरने की समुचित व्यवस्था है । लेखक को सन् 1988 में वहां जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ था । होमियो नगर में होम्योपैथी दवाखाना भी समाज की ओर से चलता है । विजय नगर में भी आर्यिका इन्दुमती जी एवं सुपार्श्वमती जी माताजी का भी दो बार विहार हो चुका है और इन्हीं की प्रेरणा से यहां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा समारोह आयोजित हो सके थे। विजय नगर से कुछ ही कि.मी. पश्चिम की ओर सूर्य पहाड़ है जिसमें दिगम्बर जैन संस्कृति के भग्नावशेष हैं । एक शिला पर दो मूर्तियां अंकित हैं तथा दूसरी पर जैन मुनि पर उपसर्ग का दृश्य अंकित है । विजयनगर में 125 जैन परिवार रहते हैं। डिब्रूगढ़ : आसाम का डिब्रूगढ़ नगर प्राचीन एवं प्रसिद्ध नगर है । ब्रह्मपुत्र महानदी के तट पर बसा हुआ यह नगर आसाम प्रदेश में दि. जैन समाज की दृष्टि से भी यह दूसरा नगर है 1 सन् 1891 की जनगणना के समय डिब्रूगढ़ और छावनी में 8976 की जनसंख्या थी जिसमें जैनों की संख्या 47 थी । वर्तमान में यहां खण्डेलवाल जैन समाज के 110 धर तथा 4 परिवार अग्रवाल जैन समाज के हैं। खण्डेलवाल जैनों के गोत्रों में पाटनी, सेठी, पहाड़िया, कासलीवाल, पाण्ड्या, गोधा, पाटोदी, गंगवाल, काला, बड़जात्या, चूड़ीवाल, बाकलीवाल, सौगानी, चांदवाड़ अजमेरा, छाबड़ा, रारा, लुहाड़िया परिवार हैं। यहां दो दिगम्बर जैन मन्दिर हैं जिनमें एक ग्राहम बाजार में दूसरा नगर के मध्य में स्थित है । ग्राहम बाजार स्थित मन्दिर में अभी पक्की वेदी का निर्माण कार्य बाकी है। मुझे स्वयं को 13 सितम्बर, 88 को वहां जाने का अवसर मिला । नगर में तीन दिन तक ठहर कर समाज की गतिविधियां देखी । वहां का जैन समाज व्यापारिक समाज है । अधिकांश परिवारों में अपना स्वयं का व्यवसाय है । यहां के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में सर्व श्री अमरचन्द जी पाटनी, चांदमलजी गंगवाल, हीरालाल पाटोदी, निरंजन पाण्ड्या का नाम विशेषत: उल्लेखनीय है। यहां की प्रमुख भाषा असमिया एवं बंगला है । ज्यादातर इन्हीं में काम होता है । यहां के रहने वाले इन्हीं भाषाओं का प्रयोग करते हैं। अब तो बच्चों की मातृभाषा असमिया बनने वाली है। लोगों में धार्मिक कार्यों में खूब उत्साह दिखाई
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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