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________________ यशस्वी समाजसेवी /667 यह्मचारी जी मुनिराजों, आर्यिका माताजी को आहार आदि देकर पुण्यार्जन करते रहते हैं । चातुर्मास में साधुओं के दर्शन करना आपका नियमित कार्य रहता है। पता- हुकमचन्द प्रकाशचन्द नं.4, राज उडमेन्ट स्ट्रीट,कलकत्ता-1 श्री प्रसन्नकुमार सेठी जन्मतिथि 14 जुलाई सन् 1935 है। श्री सेठी अपनी सादगी, समाज सेवा एवं काव्य रचना के लिये प्रसिद्ध है। आप एम.कॉम.विशारद हैं तथा राजस्थान बैंक सेवा में कार्यरत हैं । आप घर-घर जाकर लोगों को पढ़ने के लिये धार्मिक, साहित्यिक एवं बालोपयोगी पुस्तकें वितरण करने में विशेष रुचि रखते हैं । आपकी कविताओं के कई संग्रह निकल चुके हैं। पता: चुरूकों का रास्ता,जयपुर प्रोफेसर श्री प्रवीणचन्द्र जैन राजस्थान के जाने माने संस्कृत विद्वान श्री प्रवीणचन्द्र जैन का जन्म 14 अप्रैल,1909 को जयपुर में हुआ ! आपने संस्कृत और हिन्दी में एम.ए.,शास्त्री तथा साहित्यरल की उपाधियाँ प्राप्त की । आप सन् 1942-43 में जी.बी. पोद्दार कॉलेज नवलगढ़ में व्याख्याता,1943 से 47 तक संस्कृत के प्रोफेसर तथा विभागाध्यक्ष, 1947 से 50 तक वनस्थली विद्यापीठ एवं 1953 से 56 तक महारानी श्री जया कालेज भरतपुर के प्राचार्य,1957-58 में राजकीय महाविद्यालय कोटा के उपाचार्य,1958 से 65 तक डूंगर कॉलेज बीकानेर के प्राचार्य तथा सेवानिवृति के पश्चात् वनस्थली विद्यापीठ के पुनःप्राचार्य रहे 1 आप भंडारकर ओरियंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट के आजीवन सदस्य हैं। प्रोफेसर जैन श्री दि.जैन अक्षेत्र श्री महावीर जी द्वारा संचालित जैन विद्या संस्थान के डाइरेक्टर रह चुके हैं। शोध कार्यों में आपकी विशेष रुचि रहती है। सुश्री पुष्पा जैन राजस्थान की पर्यटन, कला एवं संस्कृति, पुरातत्व,महिला एवं बाल विकास तथा बाढ़ एवं अकाल सहायता आदि विभागों की मंत्री सुश्री पुष्पा जैन का जन्म भारत विभाजन के बाद जयपुर आकर बसे एक प्रतिष्ठित मुल्तानी जैन परिवार में सन् 1950 में हुआ। आपने भातखण्डे स्कूल लखनऊ से संगीत में स्नातक और राजस्थान विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. तथा श्रम कानूनों का डिप्लोमा पाठ्यक्रम उत्तीर्ण किया । व्यवसाय के रूप में यद्यपि आपने काला कोट पहिला लेकिन वह धनोपार्जन से कहीं अधिक अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध लड़ाई में गरीबों और दलितों को कानूनी सहायता पहुंचाने के इरादे से । यही कारण था कि सत्तर के दशक में राज्य कर्मचारी आंदोलन में बंदी बनाये गये बेगुनाहों और आपातकाल में भारत रक्षा और आन्तरिक सुरक्षा कानूनों के अन्तर्गत गिरफ्तार लोगों के परिवारों को बिना किसी शुल्क के कानूनी मदद देने में आपने दिनरात एक किया। दूसरों के कष्टों को अपना कष्ट समझने के संस्कारों ने ही आपकों राजनीति में धकेला । यही कारण है कि सभी सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों में आप सदैव अग्रणी रही हैं। 1977 में आपातकाल की समाप्ति के बाद बनी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व ने आपकी प्रतिभा को पहचाना और जून 1977 में हुये विधान सभा चुनाव में अजमेर क्षेत्र से आपको मैदान में उतारा । एक सर्वथा नये और अपरिचित क्षेत्र में मैदान जीतने के साथ ही आपने ऐसी मजबूत नींव जमाई कि बाद में 1980 में भी आपने
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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