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________________ यशस्वी समाजसेवी /665 श्रीमती किरण देवी जी के साथ विवाह हुआ जिनसे आपको चार पुत्र एवं एक पुत्री के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आपके चारों पुत्र सर्व श्री सौभाग्यमल, सुरेशचंद, सुभाइम द्र एवं संतोमकुमार सभा दि. 7. अपने पैमा मापसाय जवाहरात में कार्यरत हैं। आपकी एकमात्र पुत्री विद्या जैन का भी विवाह हो चुका है। श्री जैन जब से आचार्य श्री विद्यानन्द जी महाराज के सम्पर्क में आये उनके पूर्ण भक्त बन गये । आफ्ने एक बार आचार्य श्री विद्यानन्द जी महाराज को देहली से जयपुर लाने का यशस्वी कार्य किया और फिर सन् 1979-80 में चातुर्मास कराया। सन् 1981 में आयोजित खानिया पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में भगवान के माता-पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त किया तथा प्रतिष्ठा महोत्सव समिति के अध्यक्ष रहकर प्रतिष्ठा कार्य को संपन्न कराया। आप जयपुर की कितनी ही संस्थाओं से जुड़े हुये हैं। श्री महावीर क्षेत्र कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्य हैं। श्री महावीर पंथ अकादमी के उपाध्यक्ष हैं । स्वभाव से धार्मिक प्रकृति के हैं । आपका पूरा परिवार ही मुनि भक्त है तथा आहार आदि से सेवा करते रहते हैं। प्रतिदिन पूजा अभिषेक का नियम है । आतिथ्य प्रेमी हैं । समाज को आपसे बहुत आशायें हैं। पता:- महावीर भवन, 1 हास्पिटल मार्ग,सी-स्कीम, जयपुर श्री नेमचन्द जी बाकलीवाल लालगढ़ निवासी स्व.श्री खूबचंद जी बाकलीवाल के सुपुत्र श्री नेमचंद जी बाकलीदाल सुजानगढ़ के सबसे वयोवृद्ध समाजसेवी है। आपके जीवन का एक लम्बा इतिहास है। जिसको सीपित शब्दों में कहना बड़ा कठिन है। आपका जन्म माघ बदी 11 संवत् 1959 को हुआ। आपने सामान्य शिक्षा प्राप्त की । 13 वर्ष की छोटी अवस्था में आपका विवाह श्रीमती भंवरीदेवी से हुआ। जिनसे आपको चार पुत्र सर्व श्री माणकचंद, पदमचंद, मोतीलाल एवं भागचंद एवं छह पुत्रियां कमलाबाई विमलाबाई,शांतिबाई,जयदेवी गुणमाला एवं लीला के - पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । इनमें से आपकी पुत्री शांतिबाई ने 30 वर्ष पूर्व आ शिवसागर जी से 24 वर्ष की आयु में आर्यिका दीक्षा ली। आपका नाम आर्यिका विद्यामती है तथा आर्यिका सुपार्श्वमती जी के संघ में है। आपने आसाम में मैं, सालिगराम राय चुन्नीलाल बहादुर फर्म में सुपरवाईजर कोटि से कर्मक्षेत्र में प्रवेश किया था। जोरहाट में आप म्युनिसपल कमिश्नरमारवाड़ी चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष,मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष तथा इम्पीरियल बैंक की डिबरूगढ़ शाखा के ट्रेजरार थे। आप बड़े अनुशासन प्रिय कर्मठ,कर्तव्यनिष्ठ,कुशल आरबीदेटर विवेकशील, धर्मपरायण व दानशील सज्जन हैं। 75 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर आपकी हीरक जयन्ती धूमधाम से मनाई गई थी। आप 82 वर्ष के तन से वयोवृद्ध होने पर भी मन से युवक,मुजानगढ़ समाज के अध्यक्ष रहे । भगवान महावीर की 25 सौ वीं निर्वाण शताब्दी के सीकर संभाग के अध्यक्ष थे जिसके कारण आपको स्व. साहूजी ने निर्वाण शताब्दी कमेटी की तरफ से स्वर्ण पदक से विभूषित किया था। अ.भा.दिगम्बर जैन महासभा के सुजानगढ़ अधिवेशन के स्वागताध्यक्ष भी रहे ।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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