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यशस्वी समाजसेवी /663
2- बडवानी में 43 फुट लम्बा मारस्तंभ स्व.श्री 108 श्री चन्द्रसागर जी मुनि महाराज के सानिध्य में बनाकर प्रतिष्ठित कराया था
3- सुजानगढ़ में 1 || आचार्यकल्प श्री चन्द्रसागरजी के चातुमांय की स्मृति में चन्द्रसागर स्मृति भवन के नाम से विशाल भजन बन या जो स्थानीय समाज को बहुत सेवायें देता है।
4. सुजानगढ़ में गृह चैत्यालय बनाया है।
5- सुजानगढ़ नमिया में एक विशाल नेमीनाथ भगवान की मूर्ति बनाई है तथा चांदी की
तीन मूर्तिया मंदिर जी में प्रदान की है। 6. मुजानगढ़ में गौशाला में गौ गृह बनाया है। 7. पैन्डारड़ में कोटेश बनाई है, जिससे टीबी के मरीज लाभ उठाते हैं ।
पहा - चांदपल बनानात्न पं. 13, कलाकार स्ट्रीट कलकता ? श्री ज्ञानचंद खिन्दूका
सन् 1973 में जन्मे श्री ज्ञानचन्द खिन्दूका वर्तमान में जयपुर में ख्याति प्राप्त समाजसेवी हैं । आपके पिताजी श्री रामचन्द जी बिन्दूका जाने माने समाजसेवा थे। आपने बी.ए. किया तथा वाहरात व्यवसाय में लग गये । श्री महावीर क्षेत्र कमेटी के आप सभी पदों पर कार्य कर चुके हैं तथा वर्तमान में जैन विद्या संस्थान के संयोजक हैं । जयपुर नगर परिषद के भी आप सदस्य रह चुके हैं । दि, जैन रंदिर महासंघ के उपसभापति हैं । कर्मठ कार्यकर्ता तथा प्रभावक वक्ता है।
पता- महावीर पार्क के सामने मणिहारों का रास्ता, जयपुर श्री डूंगरमल सबलावत
डेह निवासरी श्री डूंगरमल जी स्त्रलाग्द समाज के प्रतिष्टिन एवं सेवाभावी सनन हैं । मुनियों की सेवा करने में आगे रहते हैं . आप आर्यिका इन्दुमती माताज के सम्पादन एवं प्रकाशन का बहुत ही यशस्वी कार्य कर चुके हैं । डा. लालबहादुर शास्त्री जी के शब्दों में आप कठोर परिश्रम तथा लगन के एक्के हैं। अनेक विघ्न बाधाओं में भी आप अपने उत्तरदायित्व को पूरा करते रहते हैं । डेह के मंदिरों के संबंध में आप विशेष रुचि लेते हैं । दि. जैन महासभा के आप कट्टर समर्थक हैं । आप जैसे समाज सेवियों पर समाज को पूर्ण गर्व है। . श्री ताराचन्द पोल्याका
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पांड्या गोत्रीय श्री ताराचंद जी का पोल्याका बैंक है। आपके पिताजी श्री नाथूलाल जी पोल्याना भी अच्छे स्वाध्यायी व्यक्ति हैं । पोल्याका जी का जन्म 10 नवम्बर सन् 1931 को हुआ तथा न्यायतीर्थ एवं बी.कॉप.पास करके केन्द्रीय सेवा में चले गये जहाँ वे सन् 1988 में डिवीजनल अकाउन्दैन्ट पद से सेवानिवृत्त हुये।