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________________ उत्तर प्रदेश का जैन समाज /619 एवं भिण्डर में तो उनके विधानों में स्त्रयं लेखक सम्मिलित हो चुका है। मंदिरों का जीर्णोद्धार भी कराते रहते हैं और जिस किसी समारोह में जाते हैं बिना आर्थिक सहयोग दिये आते नहीं हैं । साहित्य प्रकाशन भी आप कराते रहते हैं तथा साहित्य प्रकाशन संस्थाओं को साहित्य प्रकाशन हेतु आर्थिक सहयोग भी देते रहते हैं। श्री महावीर मंथ अकादमी जयपुर के संरक्षक है। विद्वानों के प्रति आपका सहज वात्सल्य रहता है। विदेशों में कितनी हो बार जा चुके हैं। लंदन में आयोजित पंचकल्याणक में अपने साथियों के साथ जा चुके हैं तथा यूरोप के अन्य देशों में जाकर वहां पर जैनधर्म दर्शन पर कार्य करने वाले विद्वानों से मिल चुके हैं। सेठी जी जैन समाज के लिये कल्पतरु हैं। उनका समस्त जीवन समाज पर समर्पित रहता है तथा समाज में धर्म की जागृति कैसे होती रहे इसी का चिन्तन चलता रहता है। समाज को उनसे बहुत अपेक्षायें हैं । सेठी जी का बहुत बड़ा परिवार हैं उनके तीन छोटे भाई हैं श्री हुलाशचंद जी तिनसुकिया एवं महावीरकुमार जी सिल्चर में कार्य देखते हैं। उनकी माताजी कट्टर मुनिभक्त हैं तथा उन्हीं के संस्कार आपको प्राप्त हुए हैं। पता- नन्दीश्वर फ्लोर मिल, ऐश बाग, लखनऊ श्री निरंजनलाल बैनाडा आगरा के वर्तमान जैन समाज में श्री निरंजनलाल जी बैनाडा का विशिष्ट स्थान है। उनके उदार स्वभाव एवं धार्मिक कट्टरता के कारण वे सामाजिक सेवा के पर्याय बन गये हैं। विगत 10-15 वर्षों से उन्होंने मंदिरों के जीर्णोद्धार, साहित्य प्रकाशन, मुनि भक्ति एवं संस्थाओं के संचालन में जिस तरह उदार भाव से सहयोग दिया है उसमें वे सर्वत्र लोकप्रिय बन गये हैं। अब तक मोजाबाद, पापोदा, के जीर्णोद्धार, कुण्डलपुर में सड़क निर्माण, नैनागिर में पुल निर्माण में आर्थिक सहयोग दिया है । बद्रीनाथ के मंदिर में चरण स्थापना में विशेष योगदान दिया है। स्वाध्याय प्रेमी हैं। श्रीमती शान्ति देवी धर्मपी निरंजन लाल बैनाड़ा आपका जन्म भादवा सुदी 13 संवत् 1995 को हुआ । आप केवल सामान्य शिक्षा ही प्राप्त कर सके। सन् 1956 में आपका विवाह ग्वालियर की श्रीमती शांतिदेवो के साथ हो गया। जिनसे आप एक पुत्र एवं चार पुत्रियों से अलंकृत हुये । आपका पुत्र नीरजकुमार बीकॉम करने के पश्चात सी.ए. कर रहा है। चार पुत्रियों में बीना रानी, मीना एवं रोमी का विवाह हो चुका है। नीता अभी पढ़ रही है । आपने कुरबई (बुन्देलखंड) के मंदिर में चन्द्रभु स्वामी की पद्मासन मूर्ति विराजमान की । कमला नगर के मंदिर के लिये आपने वेदी का निर्माण कराकर उसमें मूर्ति विराजमान करने की स्वीकृति दे दी है। सन् 1980 में आप अमेरिका, बैंकाक आदि का भ्रमण कर चुके हैं। श्री रतनलाल जी आपके छोटे भाई हैं। 49 वर्षीय युवा समाजसेवी हैं। इन्टर तक शिक्षा प्राप्त की है। सन् 1958 में आपका विवाह विमला देवी
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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