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उत्तर प्रदेश का जैन समाज /613
कोयाधिशेष रचिले हैं। एक बार पूरे संघ को लेकर संघपति बनकर यात्रा कर चुके हैं। वैसे स्वयं ने चार बार पूरे तीर्थों की यात्रा की है । मुनिभक्त हैं । मुनियों के चातुर्मास कराने में रुचि लेते हैं । रामपुर में जब तीर्थ बंदना रथ आया था आपने उस समय अच्छा आर्थिक सहयोग दिया था । नियमित पूजा पाठ करते हैं तथा रात्रि को शास्त्र प्रवचन में भाग लेते हैं। वैद्य बांकेलाल स्मृति ट्रस्ट,श्रीमती माताजी ट्रस्ट,लक्ष्मीप्रसाद जैन एडवोकेट ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं ।
आपने अब तक 65 वसन्त देखे हैं। आपके पिताजी श्री सिपाही लाल जी का निधन : सन् 1973 में हुआ तथा माताजी सन् 1978 में चली गई । आपका प्रथम विवाह सन् 1940 में
तथा दूसरा विवाह सन् 1979 में हुआ। आपकी धर्मपत्नी शांतिदेवी एम.ए. है। आपके तीन डॉ. (त्रीमती) उषा जैन धर्मपली ज्ञानेन्द्र पुत्र एवं दो पुत्रियाँ हैं। सभी उच्च शिक्षित हैं।
ज्येष्ठ पुत्र डा.ज्ञानेन्द्र कुमार 48 वर्षीय युवा डाक्टर हैं । आर्थोपेडिक्स के विशेषज्ञ हैं तथा उनकी पत्नी डा.ऊषा जैन एम.बी.बी.एस. डी.सी.एच. है। स्त्री एवं बाल रोग विशेषज्ञ हैं। वर्तमान में रामपुर जिला हास्पिटल में कार्यरत है । दूसरा पुत्र श्री श्रेयान्सकुमार बी.ए. एल.एल.बी. एडवोकेट है । उनकी पत्नी उषा जैन एम.ए., बी.एड. हैं । तीसरा पुत्र अजित कुमार भी बी.ए., एलएलबी.वकोल हैं। पत्नी का नाम सरिता है जो एम.ए.,बी.एड. है।
पुत्री कनकलता एम.ए.बी.एड. है । उनके पति महेन्द्रकुमार जी जैन एमए, एल.एलबी हैं । इफको में मैनेजर हैं। दूसरी पुत्री सुमनलता एम.ए.बी.एड. हैं। उनके पति श्री नरेन्द्रकुमार जैन इन्दौर में पी.पी.ओ. हैं ।
पता- मोहल्ला जैन मंदिर स्ट्रीट,रामपुर (उ प्रदेश) श्री कैलाशचन्द बङजात्या
मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) के निवासी श्री कैलाशचन्द बडजात्या का जन्म 2 जनवरी सन् 1932 को हुआ। आपके पिताश्री बैजनाथ की मृत्यु दिसम्बर 1973 में तथा माताजी श्रीमती बादामी देवी सितम्बर, 1983 में स्वर्गवासी हुई । आपने सन् 1952 में मुजफ्फरनगर कालेज से बी.ए. किया। इसके पूर्व 16 वर्ष की आयु में ही आपका विवाह लाडनूं के श्री नथमल जी गंगवाल को सुपुत्री लीलादेवी के साथ हुआ था। आपके एक पुत्र श्री सुनीलकुमार है जिनका विवाह जयपुर के श्री प्रकाशचन्द पाटनी की सुपुत्री कल्पना के साथ संपत्र हुआ है। आपके दो पुत्रियाँ हैं । रेणु का विवाह श्री शिवकुमार सुपुत्र श्री मिश्रीलाल जी काला कलकत्ता तथा दूसरी पुत्री रीता का विवाह जोधपुर के श्री नेमीचन्द जी पांड्या के सुपुत्र दिलीपकुमार के साथ सम्पत्र हुआ
विशेष- आपकी फर्म माघोलाल चिरंजीलाल 105 वर्ष पुरानी फर्म है । आपके पूर्वज रूपगढ़ से भिवाड़ी और भिवाड़ी से मुजफ्फरनगर आकर व्यवसाय करने लगे थे। मुजफ्फरनगर की मंडी के मंदिर का निर्माण श्री माधोलाल जी द्वारा कराया गया और फिर पंचायत के सुपुर्द कर दिया फिर मंदिर में दोनों वेदियाँ बनवाई फिर अम्बाला में भी दो दिगम्बर जैन मंदिरों का निर्माण आपके पूर्वजों ने कराया था।
स्व. फूलचन्द जी के सुपुत्र ताराचन्द जी का जन्म 2 जनवरी 1934 को हुआ। सन् 1954 में आपने बी.ए. किया । सन् 1957 में आपका विवाह बरहामपुर (पश्चिम बंगाल) के मोहनलाल जो काला की सुपुत्री गुणमाला के साथ हुआ।आपके सात