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________________ 604/ जैन समाज का वृहद् इतिहास वर्तमान में आगरा समाज द्वारा संचालित एक इन्टर कॉलेज है । वहीं जैन साहित्य शोध संस्थान है जिसकी स्थापना श्री महेन्द्र जैन द्वारा की गई थी। मोती कटला के जैन मंदिर में हस्तलिखित ग्रंथों का अच्छा संग्रह है। यहां मटरुमल बैनाडा, सुनहरीलाल जैन, पं. प्रतापचंद जैन एवं कपूरचन्द जैन अच्छे समाजसेवी हो गये हैं। मथुरा: जैन संस्कृति का गौरवपूर्ण केन्द्र मथुरा को अंतिम केवली भगवान जम्बूस्वामी की निर्वाण स्थली रहने का सौभाग्य प्राप्त है । चौरासी मथुरा में जम्बूस्वामी का जो विशाल मंदिर बना हुआ है उसका निर्माण प्राचीन मंदिर के भग्नावशेषों पर 19 वीं शताब्दी के प्रारंभ में किया गया था । इस शताब्दी में मथुरा के प्रसिद्ध जैन सेठ रघुनाथदास जी एवं उनके पुत्र सेठ लक्ष्मणदास जी भारतवर्षीय दि. जैन महासभा के संस्थापकों में से थे। सेट लक्ष्मणदास सी.आई. थे । सरकार में एवं समाज में उनका सर्वोच्च स्थान था । महासभा के प्रारंभिक अधिवेशन उन्हीं की अध्यक्षता में संपन्न हये । उनका 47 वर्ष की छोटी आय में ही 15 नवम्बर 1940 को स्वर्गवास हो गया। महासभा ने मथुरा में ही भारतवर्षीय जैन इतिहास सोसायटी की स्थापना की थी। इसी शताब्दी में चौरासी क्षेत्र पर ऋषभब्रह्मचर्याश्रम स्थापित हुआ। संघ का भवन बना और प्रधान कार्यालय स्थापित हुआ । संघ का मुख पत्र जैन संदेश और शोधांक भी चौरासी मथुरा से ही निकलते हैं । चौरासी क्षेत्र पर प्रतिवर्ष कार्तिक मास में मेला भी भरता है। मथुरा में वर्तमान में 6 मंदिर चैत्यालय हैं तथा जैन समाज के करीब 80 परिवार हैं जिनमें खण्डेलवाल समाज के 24 परिवार, जैसवाल समाज के 25 परिवार, पल्लीवाल समाज के 25 परिवार, अग्रवाल जैन समाज के 6 परिवार हैं । एक मंदिर वृन्दावन में है तथा एक गोवर्धन में है । खण्डेलवाल जैन समाज में यहां हल्देनिया गोत्र का परिवार भी है जो अन्यत्र बहुत कम मिलता है । सन् 1913 में प्रकाशित जैन यात्रा दर्पण में यहां 50 दि. जैन परिवारों का होना बतलाया गया है। मथुरा में सेठ द्वारकादास भी बहुत बड़े रईस हो गये हैं। कानपुर: कानपुर उत्तर प्रदेश का बहुत बड़ा औद्योगिक नगर है । सन् 1857 में यहां भयानक गदर हुआ था । दि. जैन महासभा के जनरल सेक्रेटरी मुंशी चम्पतराय जी यहां के मजिस्ट्रेट थे । सन् 1911 में यहां 275 दि. जैन परिवार तथा जनसंख्या 1256 थी, यहाँ दि. जैन अग्रवाल समाज के परिवारों की संख्या अधिक है। खण्डेलवाल समाज के यहां 76 परिवार हैं जिनकी जनसंख्या 580 है। भगवान महावीर के 2500 वॉ परिनिर्वाण वर्ष में यहां कितने ही अच्छे कार्य हुए । इसी नगर में अ. भा. दि. जैन परिषद का स्वर्ण जयन्ती अधिवेशन भी आयोजित हो चुका रामपुर: रामपुर उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद मंडल का प्रमुख प्रदेश है । स्वतंत्रता से पूर्व रामपुर एक मुस्लिम स्टेट थी जिसके शासक नवाब कहलाते थे। इस स्टेट का उद्भव 7 अक्टूबर, 1774 को अंग्रेजों एवं शुजाउद्दोला के कानपुर निर्देशिका- 1986, प्रकाशक श्री. दि. जैन खण्डेवाल सभा, कारपुर
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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