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________________ 18. ब्र. सुमति बाई जी शाह, सोलापुर 1 19. डॉ. भागचन्द भास्कर, नागपुर। 20. डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल, जयपुर । समाज का इतिहास / 41 उक्त विद्वानों के अतिरिक्त पचासों विद्वानों के नाम और लिये जा सकते हैं। जिनकी सेवायें अत्यधिक प्रशंसनीय है तथा जो साहित्य एवं समाज के विकास में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। ऐसे विद्वानों में पं. बलभद्र जी जैन (आगरा), पं. नीरज जैन सतना, डॉ. श्रेयान्स कुमार जी जैन (बडौत ), डॉ. डॉ. भागचन्द्र भागेन्दु (दमोह), पं. माणकचन्द जी ( चंवरे ), डॉ. कपूरचन्द जैन (खतौली ), जयकुमार जैन (मुजफ्फरनगर), पं. सागरमल जी ( विदिशा) पं. अनूपचन्द न्यायतीर्थ (जयपुर), डॉ. प्रेमचन्द रांवका (जयपुर), डॉ. प्रेमचन्द जैन (जयपुर), पं. सत्यंधर कुमार जी सेठी (उज्जैन), डॉ. लालचन्द (वैशाली), डॉ. रतनचन्द जैन (भोपाल ) डॉ. चेतन प्रकाश पाटनी (जोधपुर), डॉ. फूलचन्द जैन प्रेमी (वाराणसी) प्रो. उदयचन्द जैन (वाराणसी), डॉ. कमलेश जैन (वाराणसी), डॉ. श्रीमती पुष्पलता जैन (नागपुर), डॉ. शीतलचन्द जैन (जयपुर), पं. दयाचन्द जी साहित्याचार्य डॉ. शेखरचन्द्र जैन (अहमदाबाद ), पं. विमलकुमार जैन सौरया (टीकमगढ़), डॉ. लालचन्द जैन (वैशाली), डॉ. श्रीमती कुसुम शाह (श्रीमहावीर जी), डॉ. उदयचन्द जैन (उदयपुर) पं. पद्मचन्द शास्त्री ( देहली) आदि के नाम और उल्लेखनीय है । 1. 20वीं शताब्दी के प्रमुख एवं राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों में घं. जगन्मोहन लाल जी शास्त्री का नाम प्रथम पंक्ति में लिया जा सकता है। पण्डित जी जैन धर्म एवं साहित्य के निष्णात विद्वान है। तत्त्वचर्चा में आपकी रुचि रहती है। समवसार के वे अधिकृत विद्वान है। "अध्यात्म अमृत कलश" आपकी विद्वत्तापूर्ण कृति है। आप विद्वत परिषद् के अध्यक्ष रह चुके हैं। आपके सम्मान में सन् 1989 में एक अभिनन्दन ग्रंथ प्रकाशित हो चुका है। 2. पं. फूलचन्द जी सिद्धान्तशास्त्री का जन्म संवत् 1958 में हुआ। 90 वर्षीय शास्त्री जी ने अपनी कृतियों के माध्यम से पूरे जैन समाज को धार्मिक क्रान्ति के लिये खड़ा कर दिया। " षट् खण्डागम" के आप सह सम्पादक रहे। धवन्ना टीका के 16 भागों के तथा जय घवला के 11 भागों के सम्पादन में | समाज ने इस ग्रंथ आपका पूरा सहयोग रहा। जैन तत्त्व मीमांसा आपकी महत्त्वपूर्ण कृति मानी जाती का समर्थन एवं विरोध दोनों किया । खानिया तत्त्वचर्चा का आपने सम्पादन किया। वर्ण, जाति और धर्म आपकी मौलिक कृति है । 3. पं. बंशीधर जी व्याकरणाचार्य सिद्धान्त ग्रंथों के महान ज्ञाता है। खानियां तत्त्वचर्चा में आपने विशेष योग दिया। पं. फूलचन्द जी द्वारा लिखित "जैन तत्त्व मीमांसा एवं खानियां तत्त्वचर्चा" पर अपनी विद्वत्ता पूर्ण समीक्षा लिखकर उसे प्रकाशित कराई। आप स्वतन्त्रता सेनानी रहे हैं तथा राष्ट्रीय आन्दोलनों में सक्रिय भाग ले चुके हैं। विद्वत् परिषद् के आप भी अध्यक्ष रह चुके है। आपके सम्मान
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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