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________________ 574/ जैन समाज का वृहद इतिहास खुरई : मालवा क्षेत्र में खुरई दिगम्बर जैन समाज का अच्छा केन्द्र है। यहाँ 20 वीं शताब्दी के प्रारंभ में जैन समाज के 196 परिवार थे जिनकी जनसंख्या 661 थी लेकिन वर्तमान में दि.जैन परिवारों की संख्या 400 है। यहाँ सभी घर परिवार समाज के हैं केवल एक घर खण्डेलवाल जैन का है । दिगम्बर जैन मंदिरों की संख्या 2 एवं चैत्यालयों की संख्या तीन है । एक पार्श्वनाथ जैन गुरूकुल है जो हायर सैकण्डरी विद्यालय है । छात्रावास भी है जिसमें 200 छात्र रहते हैं । यहाँ गुरहा परिवार अत्यधिक प्रतिष्ठित परिवार है जो कृषि पंडित उपाधि से विभूषित है । विद्वानों में पं. नेमीचन्द जी जैन हैं जो विद्यालय के प्राचार्य हैं। भिलाई : भिलाई औद्योगिक नगर है जो जिला दुर्ग में स्थित है । वर्तमान में यहां जैन परिवारों की अच्छी संख्या है । खण्डेलवाल जैन समाज के करीब 60 परिवार हैं जिनमें आधे से अधिक परिवार व्यापार करते हैं तथा शेष सर्विस में हैं। हरियाणा प्रदेश का जैन समाज हरियाणा प्रदेश पहिले पंजाब प्रदेश का ही एक भाग था लेकिन अब स्वतंत्र प्रदेश है। पूरे प्रदेश में अग्रवाल जैन समाज ही बहुसंख्यक समाज है तथा धार्मिक कार्यों में निष्ठापूर्वक लगे रहते हैं । दिगम्बर जैन महासमिति की ओर से प्रकाशित हरियाणा प्रदेश स्मारिका के अनुसार जिन नगरों एवं कस्बों में जैन परिवार अच्छी संख्या में हैं उनमें फरीदाबाद, बल्लभगढ़, पलवल, होडल, वनचारी, हथीन, उटावड, गुडगांव, झाडसा, हेली मंडी, फरुखनगर, बादशाहपुर, सोहना, नह, भादस, नगीना, मांडीखेग, बीवां, अगौन, महूति गांव, पिनगावां, शाहचौखा, विद्वार, फिरोजपुर झिरका, महेन्द्रगढ़, रेवाड़ी, दारुहेडा, रोहतक,बहादुरगढ़, झज्जर हिसार, हांसी, सिरसा, भिवानी, करनाल, पानीपत, कुरूक्षेत्र, कैथल, जीन्द, सफीदों मंडी, अम्बाला शहर एवं छावनी, जगाधरी, बुडिया, साढोरा, यमुनानगर, सोनीपत शहर एवं मंडी, भटगांव, गोहाना, गन्नौर, चंडीगढ़, कालका आदि के नाम लिये जा सकते हैं । उक्त सभी नगरों में दि. जैन मंदिर हैं । सबसे अधिक मंदिर पानीपत,(6) सोनीपत (7) रेवाडी (5) में हैं। यहां की समाज ने धार्मिक शिक्षा की अच्छी व्यवस्था कर रखी है। हरियाणा के प्रमुख समाजसेवियों में श्री ताराचंद प्रेमी फिरोजपुर झिरका एवं श्री धन्नामल जी रेवाडी के नाम लिये जा सकते हैं।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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