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________________ मालवा प्रदेश का जैन समाज /573 लश्कर ग्वालियर : मालवा प्रदेश का लश्कर ग्वालियर तीसरा नगर है जिसे जैन धर्म का एवं समाज का केन्द्र कहा जा सकता है । लश्कर को सन् 1812 में बसाया गया और इसे ही ग्वालियर की राजधानी बनाया गया। वर्तमान में वृहत्तर ग्वालियर में लश्कर, ग्वालियर और मुरार का भाग आता है। नगर के विभिन्न मोहल्लों में लश्कर में 23 दिगम्बर जैन मंदिर, ग्वालियर में 8 मंदिर चैत्यालय एवं मुरार में 4 मंदिर चैत्यालय हैं। यहाँ 6 श्वेताम्बर जैन मंदिर हैं । लश्कर ग्वालियर नगर में 13 दिगम्बर जैन धर्मशालायें हैं । यहाँ पाठशालाएं एवं विद्यालय हैं तथा अन्य शिक्षण संस्थाएं हैं । इन्दौर की तरह यहाँ भी विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं। सन् 1961 की एक स्मारिका के अनुसार जातियों में जैन जनसंख्या निम्न प्रकार थी : जैसवाल - 1986, बरैया-1348, खण्डेलवाल - 1115, अग्रवाल- 901, परवार-380, गोलालारे 158, पल्लीवाल - 167, , खरौआ - 157, लमेचू - 114, गोल सिंघारे 102, पद्मावती पुरवाल- 80, बुढेलवाल - 14, हूंबड बघेरवाल, गोलापूरव, श्रीमाल एवं गंगेरवाल जातियों की संख्या है। यहाँ खरौआ जैन समाज के परिवार हैं जो अन्यत्र बहुत कम मिलते हैं । यहाँ की पूरी जैन जनसंख्या 7576 थी इन 30 वर्षों में जिस प्रकार जनसंख्या में वृद्धि हुई है उसको देखते हुये यहाँ की जैन जनसंख्या 15 हजार से कम नहीं होगी चाहिए। ग्वालियर का जैन कवियों ने बहुत सुन्दर वर्णन किया है। 15वीं शताब्दी में होने वाले अपभ्रंश के महाकवि रइधू ने ग्वालियर की सुन्दरता का एवं व्यापार व्यवसाय का बहुत सशक्त वर्णन किया है। भट्टारक सुरेन्द्रकीर्ति ने भी रविव्रत कथा में ग्वालियर का उल्लेख किया है। ग्वालियर जैन समाज के लिए तीर्थ भूमि है। जैन प्रतिमाओं का यहाँ विपुल भंडार है । यहाँ वर्तमान में उपलब्ध जैन मूर्तियों की संख्या 1500 के लगभग है जो 6 इंच से लेकर 57 फुट तक की है। यहाँ के किले में सबसे विशाल मूर्ति भगवान आदिनाथ की है जो बावनगजा के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ पर पंडितों में पं. छोटेलाल जी बरैया अच्छे पंडित थे जिनका अभी कुछ समय पूर्व ही देहान्त हो गया है। समाजसेवियों में श्री मिश्रीलाल जी पाटनी ने भी यहां के समाज की उल्लेखनीय सेवायें की थी। वर्तमान में श्री रामजीत जैन एडवोकेट अच्छे लेखक हैं । बड़वानी : बड़वानी बावनगजा के नाम से प्रसद्ध है। बडवानी पहिले मध्यप्रदेश की एक छोटी रियासत थी । बावनगजा सिद्धक्षेत्र है जहाँ भगवान आदिनाथ की 84 फुट ऊंची विशाल खडगासन प्रतिमा है जिसका जीर्णोद्धार एवं पुनः प्रतिष्ठा जनवरी सन् 1991 में विशाल पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव संपत्र हुई थी। जैन यात्रा दर्पण में दि. जैन समाज के 27 परिवार होने का उल्लेख किया है। वर्तमान में यहाँ 60-70 दि. जैन परिवार हैं जिनमें अधिकांश परिवार खण्डेलवान समाज के हैं । 1- गोपाचल सिद्धक्षेत्र - लेखक रामजीत जैन, पृष्ठ-9
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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