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________________ बिहार प्रदेश का जैन समाज /563 श्री विमलकुमार सेठी आपले पूर्वज करीब 1500 वर्ष पूर्व लक्षमणगढ़ (राज.) से रानीगंज गये और वहां से हजारीमल किशोरलाल अपने परिवार के साथ गिरडीह आकर व्यवसाय करने लगे। आपका जन्म 28 मार्च सन् 1943 को हुआ। वाराणसी विविद्यालय से बी.काम. किया और पहिले कोयला एवं पैट्रोल पम्प का कार्य करने लगे। सन् 1963 से माइका एक्सपोर्ट का कार्य कर रहे हैं। 4 जून, 1964 को आपका विवाह कुसुनदेवी से हुआ जिनसे आपको दो पुत्र एवं एक पुत्री को प्राप्ति हुई। आपके दोनों पुत्र अजयकुमार (21 वर्ष) एवं नवीनकुमार (18 वर्ष) तथा पुत्री अनुपमा रानौ तीनों ही पढ़ रहे हैं। सेठी जी ने सम्मेदशिखर जी के बीसपंथी कोठी में चौवीसी, टूकड़े में बाहुबली स्वामी की प्रतिमा विराजमान की । राजगृही धर्मशाला में स्थित पूरा जैन मंदिर का निर्माण श्री हजारीलाल जी ने करवाया। बीस पंथी कोठी के पिछले बगीचा वाला हाता में वेदी का निर्माण करवा कर मारबल लगाया। गिरडीह मंदिर एवं धर्मशाला के लिये जमीन प्रदान की। सम्मेदशिखर जी का पहिले जो पूरा केस लड़ा गया था वह भी श्री रामचन्द्र जी सेठी की देखरेख में लड़ा गया था। रहे हैं I आपके माता-पिता ने जापान एवं हांगकांग की यात्रायें की। आपके बड़े भाई मनुलाल जी हांगकांग में ही रह आपके पिताजी 14 वर्ष तक जैन समाज के अध्यक्ष रहे। सेठी जी स्वयं ही उत्साही समाजसेवी हैं । पता : हजारीमल किशोरीलाल सेठी, स्टेशन रोड, गिरडीह । श्री वीरेन्द्रकुमार काला काला जी के दादाजी श्री मानमल जी (सुपुत्र श्री बख्तावरमल जी) अपने ग्राम जिल्या ठाकुर से वाद विवाद होने पर स्वयं ने मानपुरा गांव बसाया तथा वहां नेमिनाथ स्वामी का मंदिर धर्मशाला एवं कुंआ आदि का निर्माण करवाया। उसके पश्चात् करीब 55 वर्ष पूर्व उनके पुत्र एवं श्री वीरेन्द्रकुमार जी के पिता श्री फूलचंद जी काला गया आकर रहने लगे। सन् 1984 में आपका 71) वर्ष की आयु में स्वर्गवास हो गया। आपको माताजी श्रीमती कमलादेवी जी का आशीर्वाद प्राप्त है। श्री काला जी का जन्म 4 फरवरी सन् 1949 को हुआ। मगध विश्वविद्यालय से सन् 1966 में बी. एस. सी. करने के पश्चात् किरोसिन एवं नमक का थोक व्यवसाय करने लगे। सन् 1970 में आपका विवाह श्रीमती कान्तादेवी से हुआ जो रतनलाल जी पाटनी, पटना की पुत्री हैं। आप दोनों को 4 पुत्र हर्ष, विक्रम, विशिष्ट एवं अपूर्व तथा एक पुत्री हर्षा के माता पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है। श्री जैन सामाजिक क्षेत्र में अग्रसर रहते हैं। गया जैन समाज के कोषाध्यक्ष रह चुके हैं तथा चैम्बर आफ कामर्स के सक्रिय सदस्य हैं। जैन विद्यालय गया के सेक्रेट्री, दि. जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के सम्माननीय आजीवन सदस्य हैं । आपकी माताजी के शुद्ध खान-पान का नियम है तथा वह मुनियों को आहार देती रहती है। मुनि श्री आर्य नंदि महाराज का संघ लेकर भागलपुर एवं शिखर जी तक जा चुके हैं।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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