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समाज का इतिहास / 39
लिखकर जीवन गाथा साहित्य को एक महत्त्वपूर्ण कृति भेंट की है। आर्यिका विशुद्धमती माताजी वर्तमान महान् एवं विशाल व्यक्तित्व की धनी आर्यिका है। दिनांक 14/08/1964 को दिगम्बराचार्य श्री शिवसागर जी से दीक्षित आर्यिका है। करणानुयोग साहित्य की उत्कृष्ट विदुषी है। श्री नेमिचन्द्राचार्य के त्रिलोकसार, यतिवृषभाचार्य की तिलोयपष्णत्ति एवं भट्टारक सकलकीर्ति के सिद्धान्तसार दीपक जैसी करणानुयोग की महत्त्वपूर्ण कृतियों का आपने हिन्दी अनुवाद करके सम्पादन किया है। साहित्यिक क्षेत्र में आपकी यह महान सेवा स्वर्णाक्षरों में लिखी रहेगी।
आर्यिका सुपार्श्वमती माताजी ने देश के पूर्वान्चल भाग में एक अभूतपूर्व धार्मिक क्रान्ति पैदा की है। माताजी परम विदुषी एवं प्रभावक वक्ता है। आप स्व. आर्यिका इन्दुमती माताजी की शिष्या है। आर्यिका विजयमती माताजी भी लेखनी की धनी आर्यिका है। आपने दक्षिण भारत को अपना कार्य क्षेत्र बनाया है और वहाँ के जैन समाज में धार्मिक भावना उत्पन्न करने में महान् योग दिया है।
भट्टारक संस्था :
यद्यपि उत्तर भारत में भट्टारक संस्था की समाप्ति हो गई है लेकिन दक्षिण भारत में वर्तमान में जो भट्टारक गादियां हैं उन्हें वहाँ जैन मठ कहा जाता है। वर्तमान में दक्षिण भारत में श्रवणबेलगोला, मूडविद्री, कारकल, कोल्हापुर, हुमच्चा में भट्टारक गादियां हैं। जैन मठ श्रवणबेलगोला के भट्टारक स्वस्ति श्री चारुकीर्ति जी है। अच्छे विद्वान एवं वक्ता है। भगवान गोम्मटेश्वर का तीर्थ आप ही के मठ के अन्तर्गत है । चारुकीर्ति युवा भट्टारक है तथा देश-विदेश में जाकर धर्म का प्रचार करने में पूर्ण रुचि रखते
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मूडविद्री के जैन मठ के भट्टारक जी का नाम भी स्वस्ति श्री चारुकीर्ति जी है। आप भी युवा भट्टारक है तथा उच्च शिक्षित सन्त हैं। संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी एवं कन्नड़ के अच्छे ज्ञाता है एवं वक्ता है 1 आप भी देश के विभिन्न भागों में एवं विदेशों में जाकर धर्म प्रचार करते रहते हैं।
साधु-सन्तों में ब्रह्मचारी ब्रह्मचारिणियों की सेवायें भी महत्त्वपूर्ण होती है। वर्तमान में इस दृष्टि से ब्रहृमचारिणी कुमारी कौशल बहिन जी का नाम सर्वोपरि आता है। वे परम विदुषी एवं प्रभावक वक्ता है। कितनी ही पुस्तकों की लेखिका एवं सम्पादक हैं। इनमें अर्हत सूत्र, मंत्रानुशासन जैसे ग्रंथों के नाम प्रमुख रूप से लिये जा सकते हैं। ब्र. कमलाबाई जी परम विदुषी है। स्त्री शिक्षा प्रचार-प्रसार लिये श्री महावीर जी में आदर्श महिला विद्यालय का संचालन करती हैं। आदर्श महिला विद्यालय का राजस्थान में वनस्थली विद्यापीठ के बाद नाम लिया जा सकता है।