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________________ बिहार प्रदेश का जैन समाज/543 श्री महेन्द्रकुमार पाटनी ___पाटनी जी के पूर्वज लाडनूं में रोजगार के लिये करीब 115 वर्ष पूर्व सुजानगढ से राजाशाही (वंगलादेश) गये फिर वहां से रायगंज (वेस्ट बंगाल) गये तथा सन् 1972 में आकर हार्डवेयर व्यवसाय करने लगे। ___ पाटनी जी का जन्म 56 वर्ष पूर्व हुआ । राजाशाही से आपने मैट्रिक किया। 18 वर्ष की आयु में आपका विवाह श्रीमती उमरावदेवी के साथ हो गया। आप तीन पुत्र एवं तीन पुत्रियों के पिता हैं। ज्येष्ठ पुत्र श्री मानिकचंद 28 वर्षीय हैं उनकी पत्नी का नाम मीना है। दूसरे पुत्र उत्तमचंद (25 वर्ष) एवं प्रदीप कुमार (23 वर्ष) दोनों ही बी काम, हैं। तीन पुत्रियों में अनिता का विवाह हो चुका है । सरिता एवं सुनीता पढ़ रही हैं। आपके दादाजी चम्पालाल जी ने मृत्यु के समय मुनि दीक्षा धारणा की थी। आप कार्तिक महोत्सव कलकत्ता में सारथी का पद तथा भागलपुर इन्द्रध्वज विधान में इन्द्र के पद से अलंकृत हुये थे। आपका सारा परिवार मुनिभक्त है । मुनियों को आहार देते हैं। आपकी पुत्रवधू मीनादेवी सन् 1983 में दशलक्षण घत के उपदार: बार कुकी ।। आपके एक छोटे भाई राजकुमार (54 वर्ष) हजारी बाग में व्यवसाय करते हैं । उनकी पत्नी गिनियादेवी के चार पुत्र एवं एक पुत्री है। पता:- सैन्र्ल हार्डवेयर मार्ट,रामगढ केन्ट (बिहार) श्री महेन्द्रकुमार बाकलीवाल औरंगाबाद (बिहार) के निवासी श्री महेन्द्रकुमार मूलत: धौट गांव (राज) के निवासी हैं। 32-33 वर्ष पूर्व वे यहां आकर व्यवसाय करने लगे। आपके पिताजी श्री जमनालाल जी का सन् 1970 में स्वर्गवास हुआ उस समय वे 67 वर्ष के थे। महेन्द्रकुमार जी का जन्म सन् 1949 में हुआ । सन् 1938 में हायर सैकेन्ड्री सीकर से पास की । सन् 1971 में श्रीमती प्रेमलता के साथ विवाह हुआ जिनसे आपको दो पुत्र एवं दो पुत्रियों की प्राप्ति हुई है । आपके दोनों पुत्र मनीष एवं राकेश तथा पुत्रियाँ पिंकी एवं कविता सभी पढ़ रहे हैं। औरंगाबाद पंचकल्याणक में आपने कोषाध्यक्ष का कार्य सम्पत्र किया। यहाँ के मंदिर निर्माण में आपका बहुत योगदान रहा है । औरंगाबाद समाज के बहुत ही कर्मठ सदस्य हैं । सेवा भावी हैं। आपके छोटे भाई महेशकुमार जी 35 वर्ष के हैं। पत्नी का नाम गुणमाला देवी है । दो पुत्रियां कु. रचना एवं कु. अर्चना तथा पुत्र पंकज तीनों ही पढ़ रहे हैं। पता- फैन्सी स्टोर, वस्त्र एम्पोरियम,जैन किराना मंडार, नवाडी रोड, औरंगाबाद (बिहार)
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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