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________________ 36/जैन समाज का वृहद् इतिहास 09. परमपूज्य आचार्य श्री कल्याणसागर जी महाराज 10. परमपूज्य आचार्य श्री श्रेयान्ससागर जी महाराज 11. परमपूज्य उपाध्याय श्री भरतसागर जी 12. परमपूज्य उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी 13. परमपूज्य उपाध्याय श्री कनकनन्दि जी 14. परमपूज्य आर्यिका श्री ज्ञानमति जी 15. परमपूज्य आर्यिका श्री विशुद्धमती जी 16. परमपूज्य आर्यिका श्री सुपार्श्वमती जी 17. परमपूज्य आर्यिका श्री विजयमती जी 18. स्वास्त श्री भट्टारक वास्कीतिजो श्रवणबेलगोला • 19. स्वस्ति श्री भट्टारक चास्कीर्तिजी मूडविद्री 20. ब्रह्मचारिणी कुमारी कौशल बहिन जी आचार्य विद्यानन्द जी वर्तमान युग के समन्तभद्र हैं। अपनी आकर्षक वक्तृत्व शैली से लाखों की जनसभा को सम्बोधित करते रहते हैं। आप जहाँ भी जाते है जन मेदिनी उमड़ पड़ती है। भगवान महावीर के 2500वाँ निर्वाण महोत्सव, भगवान बाहुबली के सहस्राब्दि महामस्तकाभिषेक समारोह, बावनगजा महामस्तकाभिषेक समारोह जैसे विशाल समारोहों का सफल आयोजन आपकी ही प्रेरणा का सुफल है। समाज के एकीकरण में आपका पूरा योगदान रहता है। 12 अप्रैल, 1925 को जन्मे श्री विद्यानन्द जी ने सन् 1963 में मुनि दीक्षा ली, सन् 1974 में उपाध्याय पद दिया गया । सन् 1978 में एलाचार्य पर एवं सन् 1981 में सिद्धान्त चक्रवर्ति पद पर प्रतिष्ठित किया गया। युवाचार्य श्री विद्यासागर जी कठोर तपस्वी, उच्च साधक, सिद्धान्त मर्मज्ञ, महाकवि एवं मधुर वक्तृत्व शैली के धनी है। आप जहाँ भी विराजते है श्रावकगण खिचे चले आते है। प्राकृत, संस्कृत एवं हिन्दी भाषा के पारंगत विद्वान है। सन् 1946 में जन्मे आचार्य श्री ने 22 वर्ष की अवस्था में मुनि दीक्षा ग्रहण की। 32 वर्ष की छोटी आयु में आप आचार्य पद पर प्रतिष्ठित हुये। आप विशाल संघ के स्वामी है। ब्राह्मी विद्यालय की परिकल्पना आपकी ही देन है। मूक माटी आपका नवीनतम हिन्दी महाकाव्य है। वर्तमान में जितने आचार्य है उनमें आचार्य श्री विमलं सागर जी महाराज सबसे प्रभावक आचार्य है। आप श्री महावीरकीर्ति जी महाराज के शिष्य है तथा सन् 1961 में आचार्य पद पर प्रतिष्ठित हुये थे। विगत 30 वर्षों से आप साधनारत रहते हुये जनकल्याण की भावना से ओतप्रोत रहते है 1 76 वर्ष की आयु होने पर भी प्रतिदिन सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं से घिरे रहते है। मंत्र शास्त्र के अपूर्व ज्ञाता है तथा निमित्त ज्ञानी है। आप जहाँ भी बिहार करते है समाज द्वारा घिर जाते हैं। विशाल संघ के स्वामी है। उपाध्याय भरत सागर जी एवं आर्यिका स्याद्रादमती जी जैसी विदुषी आर्यिका आपके संघ में है।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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