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________________ 506 / जैन समाज का वृहद् इतिहास | गया में दो विशाल मंदिर हैं। एक पुरानी गया में और दूसरा नवीन गया में नवीन गया का जैन मंदिर ऊपर के तल्ले में है । जिसमें पांच वेदियां हैं। एक वेदी में भगवान बाहुबली विराजमान हैं। उत्तर की ओर की वेद में दो प्राचीनतम प्रतिमाएं हैं। मध्य में काले पाषाण की पद्मासन प्रतिमा आदिनाथ स्वामी की है। प्रतिमा अत्यधिक कलापूर्ण है । शिखर पर तीन छत्र हैं। ऊपर नीचे सर्प का चिन्ह बना हुआ है। छत्र के नीचे दोनों ओर युगल किन्नरियां देवगण पुष्प वृष्टि कर रहे हैं। भगवान आदिनाथ पद्मासन मुद्रा में हैं। उनके केश कंधे तक गिरे हुये हैं। मूर्ति के दोनों ओर दो इन्द्र चंवर कर रहे हैं। एक इन्द्र का नंबर कंधे पर है तथा दूसरे इन्द्र का चंवर हाथ है। मूर्ति के नीचे शिला पर सोलह स्वप्न के चिन्ह लगते है। इसके नीचे दोनों ओर ऊपर मुंह किये हुये दो बैल दिखाये गये हैं। बीच में धर्मचक्र है। पीछे भामण्डल है। मूर्ति के शिखर पर पूरे बाल हैं तथा चोटी के समान हैं। यह प्रतिमा मुंगेर जिले से लाई गई थी। ऐसी प्रचीन एवं कलापूर्ण मूर्ति अन्यत्र नहीं मिलती है। इस प्रतिमा के दूसरी ओर एक और प्राचीन प्रतिमा है। वह भी काले पाषाण की है। पद्मासन है। तीन छत्रयुक्त है। वृक्ष का आकार अशोक वृक्ष है। दोनों ओर एक-एक इन्द्र नृत्य मुद्रा में हैं। केश विन्यास की छटा अपूर्व है। बाल काले हैं। फिर मोटी चोटी है। जिसमें तीन मोड हैं। फिर मध्य में दोनों ओर एक-एक इन्द्र नृत्य की मुद्रा में हैं। चंवर ढोलते हैं। कमलासन है । आसन के नीचे बीच में धर्मचक्र है तथा दोनों ओर एक-एक बैल है। आसन में और भी देव हैं। यह प्रतिमा भी उक्त प्रतिमा के साथ मुंगेर जिले से संवत् 1983 में लाई गई थी । यहां का वर्तमान समाज 185 परिवारों का समाज है जिसमें 1800 खण्डेलवाल जैनसमाज के एवं 4 परिवार अग्रवाल जैन समाज के हैं। अधिकांश व्यापारी परिवार हैं तथा धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में बहुत रुचि लेते हैं। भगवान महावीर के 2500 वां परिनिर्वाण वर्ष में यहां के समाज द्वारा एक विशाल सेमिनार का आयोजन किया गया था जिसमें 40 से भी अधिक शीर्षस्थ विद्वानों ने धर्म, संस्कृति, कला एवं साहित्य पर अपने निबन्धों का वाचन एवं फिर परिचर्चा हुई थीं। इसी तरह सन् 1991 के नवम्बर मास में दिनांक 10 नवम्बर से 14 नवम्बर तक यहां उपाध्याय ज्ञानसागर जी महाराज के तत्वावधान में विद्वत संगोष्ठी, वाचना, आचार्य शांतिसागर जी छाणी स्मारिका विमोचन, शास्त्री परिषद् का अधिवेशन, बिहार प्रान्तीय दि. जैन महासभा का अधिवेशन एवं युवक सम्मेलन का विशाल आयोजन यहां के समाज द्वारा हो चुका है। उपाध्याय ज्ञानसागर जी महाराज के चातुर्मास से यहां की समाज में धार्मिक भावना, जागरूकता एवं सामाजिक कार्यों में रुचि की भावना पैदा हुई है। खण्डेलवाल जैन समाज के यहां सेठी, छाबड़ा, बड़जात्या, रारा, गंगवाल, अजमेरा, पांड्या, पाटनी, कासलीवाल, बज, विनायक्या, पापड़ीवाल, काला, सोनी, रांवका गोत्र वाले परिवार रहते हैं। वर्तमान में दि. जैन समाज के अध्यक्ष पद पर श्री पदमचन्द्र जी अजमेरा, मंत्री श्री विद्या कुमार जी काला हैं। समाज सेवियों में श्री बालचन्द्र जी छाबड़ा, हुकमचन्द जी सेठी, सुरेश कुमार जी पांड्या, श्री वीरेन्द्र कुमार जी काला के नाम उल्लेखनीय हैं ।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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