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________________ 496/ जैन समाज का वृहद् इतिहास श्री शांतिलाल कासलीवाल सामाजिक कार्यकर्ता श्री शांतिलाल जी कासलीवाल को सरवाड अजमेर की समाज में उल्लेखनीय स्थान प्राप्त है । आपका जन्म 10 दिसम्बर सन् 1925 को हुआ। अष्टम कक्षा पास करने के पश्चात् राज्य सेवा में चले गये तथा वहां से सेवा निवृत्त होने के पश्चात् अपने आपको धर्मायतनों की व्यवस्था में लगा दिया तथा समाज सेवा में समर्पित कर दिया। आपने स्थानीय धार्मिक एवं सामाजिक सम्पत्ति के एकीकरण में विशेष योगदान दिया। साथ ही में यहां के चन्द्रप्रभु मंदिर की वेदी प्रतिष्ठा में प्रशंसनीय योगदान देकर उसे सफल बनाया। पता : श्री शांतिलाल कासलीवाल, नगरपालिका के सामने,सदर बाजार, सरवाड़ (अजमेर) श्री शांतिलाल बड़जात्या श्री शांतिलाल जी बड़जात्या भारतवर्षीय दि. जैन महासभा की राजस्थान शाखा के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। इसलिए वे अजमेर एवं राजस्थान को समाज नीति से ऊपर उठकर भारतीय स्तर के नेता बन गये हैं । आपका जन्म कार्तिक बुदी 7 संवत् 19x) को हुआ। आपके पिताजी श्री रिखबदास जी का संवत् 2026 कार्तिक बुदी2 को स्वर्गवास हुआ । माताजी श्रीमती गटूदेवी की छत्रछाया अभी मिल रही है । संवत् 2008 में आपका विवाह गुमानमल जी काला की सुपुत्री बसन्ती देवी के साथ हुआ। आपको तीन पुत्र पवन, अनिल एवं अजित तथा तीन पुत्रियों पुष्पलता, अनिता एवं प्रियदर्शनी के पिता होने का सौभाग्य मिल चुका है। तीनों ही पुत्रियों का विवाह हो चुका है। बड़जात्या जी साड़ी निर्माता एवं विक्रेता हैं । अजमेर में ऋषभ साड़ी सेन्टर के नाम से व्यवसाय करते हैं। अजमेर के अतिरिक्त कलकत्ता में भी रिखबदास कैलाशचंद फर्म है। आपके छोटे भाई श्री कैलाश बड़जात्या एम.कॉम. एल.एलबी हैं तथा सीकर के दीवान श्रीचंद जी की सपत्री कनकमा श्री बड़जात्या जी का बहु आयामी व्यक्तित्व है । धार्मिक दृष्टि से वे कट्टर मुनि भक्त हैं । आहार आदि देकर अपने को कृतार्थ मानते हैं। देव शास्त्र गुरु की भक्ति में समर्पित रहते हैं। कोठिया भीलवाड़ा में संवत् 1920 में वेदी की प्रतिष्ठा करा चुके . आपको जब से महासभा का प्रचार मंत्री बनाया गया है उन्होंने अपना अधिकांश समय महासभा को समर्पित कर रखा है तथा समाज में महासभा को अधिक से अधिक लोकप्रिय बनाने के लिये प्रयलशील रहते हैं। आप अच्छे वक्ता हैं तथा आलंकारिक भाषा में अपना भाषण देते हैं । श्रोताओं को प्रसन्न रखते हैं। पता : सरावगी मोहल्ला,अजमेर।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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