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________________ 452/ जैन समाज का वृहद् इतिहास भीलवाड़ा जिला : भीलवाड़ा प्रान्त का जैन समाज :- भीलवाड़ा जिले में दिगम्बर जैन समाज का उल्लेखनीय स्थान हैं। जिन तहसीलों में दिगम्बर जैन समाज प्रमुखता से मिलता है उनमें भीलवाड़ा, मांडलगढ़, बिजोलिया, जहाजपुर एवं शाहपुरा प्रमुख हैं। भीलवाड़ा नगर में 200-225 दि. जैन परिवार रहते हैं जिनमें खण्डेलवाल जैन समाज में अजमेरा, चौधरी (कासलीवाल) सौगानी, काला, पाटोदी, वैद आदि प्रमुख गोत्र के परिवार हैं। शेष परिवार बघेरवाल, अग्रवाल एवं नरसिंहपुरा समाज के है। यहां 7 दि. जैन मंदिर हैं जिनमें तीन मंदिर शहर में, एक मंदिर भोपालगंज में, एक मंदिर सुभाषनगर में बना हुआ है। यहां का दिगम्बर जैन खण्डेलवाल बड़ा मंदिर सबसे पुराना है जिसे 235 वर्ष पूर्व श्री लालचन्द जी अजमेरा ने निर्माण करवाकर समाज को समर्पित किया था। यह मंदिर अपनी विशिष्ट कला, भव्यता एवं कांच पर सोने के काम के लिये प्रसिद्ध है। 20 स्वर्ण कलशों से युक्त मंदिर का उत्तुंग शिखर अपनी विशेषता के लिये सारे मेवाड़ में ख्याति प्राप्त हैं। मंदिर में 3 वेदियां हैं। मूल वेदी में चन्द्रप्रभु स्वामी की संवत् 1231 की प्राचीन प्रतिमा है जो अपने अतिशय के लिये प्रसिद्ध है। इसी तरह मंदिर में पद्मासन प्रतिमा चन्द्रप्रभुं स्वामी की संवत् 1498 में प्रतिष्ठित है। तीसरा मंदिर अजारदारा की गोठ का मंदिर कहलाता है । तीनों मंदिरों में संवत् 1997 वैशाख सुदी 11 को होने वाली पंचकल्याणक प्रतिष्ठा का लेख अंकित हैं। तीनों ही मंदिर तेरहपंथ शुद्धानाय के हैं I भूपालगंज में तेरहपंथी मंदिर है जिसका निर्माण (शिलान्यास) संवत् 2013 में तथा प्रतिष्ठा सं. 2019 वैशाख सुदी 10 में सम्पन्न हुई थी । वेदी मंदिर के ऊपरी भाग में एक बड़े हाल में हैं जिसके दोनों ओर बड़े सुन्दर भाव अंकित हैं। दोनों ओर के भित्तिचित्र दर्शनीय हैं। वैसे यहां सभी मंदिरों में भित्तिचित्रों की बहुलता है । कला की दृष्टि से मंदिर के भित्ति चित्र उल्लेखनीय हैं। यहां के बिच मंदिर में प्राचीन 299 3000 हस्तलिखित ग्रंथों का अच्छा भंडार बतलाते हैं। नगर में विमलसागर जैन विद्यालय संचालित है जिसके संस्थापक एवं व्यवस्थापक श्री भंवरलाल जी बलावत हैं। यहां एक नेमिनाथ दि. जैन स्वाध्याय भवन भी हैं। श्री जिनेन्द्र कला भारती यहां की भारत प्रसिद्ध संस्था है जिसके मंत्री श्री निहालचन्द जी अजमेरा हैं। जैन संगीत के लिये आपका पूरा परिवार ही समर्पित है। कठपुतलियो एवं महावीर जी फड़ एवं बाहुबलि की फड़ के माध्यम से आप राजस्थानी भाषा में भगवान महावीर एवं बाहुबली का अच्छा वर्णन करते हैं। यहां महावीर जैन हायर सैकण्डरी स्कूल भी है। नगर के वयोवृद्ध समाजसेवियों में श्री हीरालाल जी अजमेरा, भागचन्द जी अजमेरा एवं युवक समाज में निहालचंद जी अजमेरा, बसन्तीलाल जी चौधरी, रतनलाल जी अजमेरा, कुन्तीलाल जी अजमेरा, ज्ञानमल जी पाटोदी, सागरमल जी टोंग्या के नाम उल्लेखनीय । यहां दो जैन औषधालय एवं एक रात्रि पाठशाला ' समाज द्वारा संचालित हैं। बिजोलिया : बलिया लवाड़ा जिले का मुख्य भाग हैं। यहां भगवान पार्श्वनाथ का अतिशय क्षेत्र है जहां के भीम वन में रेवा नदी के तट पर ध्यानस्थ भगवान पार्श्वनाथ पर कर्मठ ने उपसर्ग किया था जिसका संवत् 1226 का
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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