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________________ 428/ जैन समाज का वृहद् इतिहास SHP अध्ययन कर रहे हैं। आपके सात पुत्रियां हैं इन्द्रमणि, चन्द्रकान्ता,सन्तोष, सरिता, विवाहित हैं तथा सुशीला,संगीता एवं अनिता अभी अविवाहित हैं। ___ श्री जीवराज जी नागौर में आयोजित पंचकल्याणक में इन्द्र बने थे। आपकी माताजी ने बीस पंथी मन्दिर नागौर में दो वेदियों का निर्माण करवाया था। आप सोनीबाई दि. जैन पाठशाला के तथा महावीर इन्टरनेशनल के अध्यक्ष हैं। आप नागौर म्युनिसिपैल्टी के सदस्य रह चुके हैं। आप दोनों पति पत्नी के शुद्ध खान-पान का नियम है जो उन्होंने आचार्य महावीरकोर्ति जी से लिया था । श्रीमती पद्मादेवी अष्टाह्निका एवं दशलक्षण व्रत के उपवास का चुकी हैं। जीबाज पहाडिया आपके छोटे भाई पारसमल 52 वर्ष के हैं। उनकी पत्नी का नाम रानी देवी है । तीन पुत्रों. अमरचन्ट, विनोद कुमार एवं पुखराज जैन के पिता हैं । दो पुत्रियां हैं इन्द्रा कुमारी एवं सुनिता कुमारी । प्रथम पुत्री का विवाह हो चुका है। दोनों भाइयों का सम्मिलित कारोबार है। छोटे भाई पारसमल कलकत्ता निवास करते हैं। पता :- धनसुख,जीवराज,गिनानी गली नागौर । श्री जावराज बड़जात्या नागौर के श्री जीवराज बड़जात्या का समाजसेवा में पर्याप्त योगदान रहता है । 40 वर्ष के युवा समाजसेवी हैं । बी.एस.सी. तक शिक्षा प्राप्त की है तथा पैट्रोलियम एवं वस्त्र व्यापारी हैं । सन् 1973 में आपका विवाह श्रीमती रूपादेवी के साथ सम्पन्न हआ। आप धार्मिक स्वभाव के व्यक्ति हैं। अभी 10 में संपन्न पंचकल्याणक में ईशान इन्द्र बनने कास नागौर के मन्दिर में मूर्ति विराजमान करने का यशस्वी कार्य कर चुके हैं । मुनि भक्त हैं । यात्रा संघों की व्यवस्था में आपके पिताजी सदा आगे रहते थे। __ आपके तीन छोटे भाई हैं । सन्तोष कुमार जी 36 वर्षीय हैं उनकी धर्मपत्नी का नाम तारा देवी है । दूसरे भाई श्री ललित कुमार बी कॉम.हैं । मेघालय में व्यवसाय करते हैं । आपकी पत्नी का नाम पुष्पा देवी है जो तीन पुत्रियों की जननी है। तीसरे भाई दिलीप कुमार भी मेघालय में कार्यरत हैं। सुमित्रा पत्नी है एक पुत्री के पिता हैं। आपके 5 बहिने हैं विमला सुलोचना,मनफूलबाई,मिनियाबाई एवं प्रभाबाई । सभी का विवाह हो चुका है । आपके पिताजी स्व.श्नी रतनलाल जी बड़जात्या परम धार्मिक व्यक्ति थे। आचार व्यवहार एवं सामाजिकता से पूर्ण थे । संस्थाओं को आर्थिक सहयोग देते रहते थे। केवल 52 वर्ष की आयु में हृदय रोग से सन् 1975 में स्वर्गवास हो गयः। आपकी माताजी श्रीमती कंवरी देवी की छत्रछाया प्राप्त है। पता- रत्नदीप, नागौर।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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