SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 26/जैन समाज का वृहद् इतिहास स्तर पर कराया गया जिसमें लाखों धर्मप्रेमियों ने भाग लिया था। आचार्य अजितसागर जी महाराज का पूरा संघ वहा विराजमान रहा था। आचार्य विमलसागर जी महाराज के सानिध्य में भी इस प्रकार के आयोजन खूब होते रहे। संस्थाओं का वार्षिकोत्सव अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन परिषद् का हीरक जयन्ती महोत्सव कानपुर में दिनांक 23-24 अस्ट्रार. 1992 को भी हालाद जी न सागर की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। जिसमें समाज को नई दिशा प्रदान की गई। अ.भा.दि. जैन महासभा का 93 वा वार्षिकोत्सव गौहाटी (आसाम) में, 94 वाँ अधिवेशन सोनागिर में तथा 95 वां वार्षिक अधिवेशन सिद्भक्षेत्र मांगीतुंगी तीर्थ पर दि. 27-28 जनवरी, 90 को श्री निर्मल कुमार जी सेठी की अध्यक्षता में धूमधाम से संपन्न हुआ। महासभा की ओर से समाज को आर्ष मार्ग पर चलने तथा निर्ग्रन्थ मुनि की भक्ति में अपने आपको समर्पित करने के लिये आह्वान किया गया। अ.भा. दि. जैन विद्वत् परिषद् का वार्षिकोत्सव दिनांक 27-28 मई 85 को फिरोजाबाद पंचकल्याणक महोत्सव के अवसर पर प. भंवरलाल जी न्यायतीर्थ की अध्यक्षता में संपन्न हुआ तथा सन् 1990 में सतना में वार्षिकोत्सव आयोजिन हुआ। इसी तरह अ.भा. दि. जैन शास्त्री परिषद् के वार्षिकोत्सव भी सुजानगढ़ एवं खान्दूकॉलोनी में आयोजित हुये। इन अधिवेशनों से समाज के पचासों विद्वानों को एक मंच पर आने का अवसर मिला। विद्वानों एवं श्रेष्ठियों का निधन इन वर्षों में समाज के मूर्धन्य विद्वानों एवं समाज नेताओं के निधन से भी रिक्तता आई तथा उनके मार्गदर्शन से समाज को वंचित रहना पड़ा। समाज के मूर्धन्य नेता एवं मार्गदर्शक सर सेठ भागचन्द जी सोनी का दिनांक 3 अगस्त, 1983 को निधन हो गया। उनके वियोग से सम्पूर्ण समाज एवं देश ने गहरा दुख प्रकट किया और भविष्य में वैसा समाज सेवक होना असंभव माना गया। सर सेठ साहब की चार पीढ़ियों से समाज को संरक्षण प्राप्त होता रहा है। इन्दौर के सर सेठ हुकमचंद जी के सुपुत्र श्री राजकुमारसिंह कासलीवाल का 30 अप्रैल, 1987 को निधन से एक राष्ट्रीय स्तर का नेता उठ गया । मध्यप्रदेश में एवं विशेषतः मालवा के लिये श्री राजकुमारसिंह जी कासलीवाल की सेवायें उल्लेखनीय मानी जाती है। दि. जैन महासभा के पूर्व अध्यक्ष श्री भंवरीलाल जी बाकलीवाल एवं रायसाहब श्री चांदमल जी पाण्ड्या का निधन भी इन्हीं वर्षों में हुआ। दोनों ही श्रेष्ठियों से समाज को पर्याप्त समय तक मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy