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________________ 396/ जैन समाज का वृहद उतरा वर्ष पश्चात् आपका विवाह इन्दौर निवासी स्व. श्री सुगनचंद जी सोगानी की पुत्री श्रीमती सी. मंजुला के साथ दि. 17 मई 70 को संपन्न हुआ। जिनसे आपको दो पुत्र एवं तीन पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य मिला। दोनों पुत्र विवेक एवं वैभव तथा तीनों पुत्रियों, मोनिका, नीलू एवं पूजा पढ़ रही है। श्रीमती सी. मंजुला कोठारी बी.ए. हैं। श्री चन्द्रप्रकाश कोठारी सी.पी. कोठारी के नाम से जाने जाते हैं। वे सूझबूझ के धनी एवं अदम्य उत्साही युवक हैं। छोटी आयु में वे जिस कुशलता के साथ सारे देश में फैले हुये अपने उद्योग समूह का संचालन कर रहे हैं वह उनको स्वाभाविक प्रतिभा का परिचायक है। उनकी नम्रता, व्यवहार कुशलता एवं मिलन- सारिता सारे उद्योग समूह एवं पूरे परिवार में प्रसिद्ध है। उनकी पत्नी श्रीमती मंजुला भी विनम्र स्वभाव की महिला है। आतिथ्य प्रेम से ओतप्रोत हैं। सी.पी. कोठारी जी में धार्मिक भावना है। मुनिराजों के दर्शनार्थ जाते रहते हैं। तीर्थयात्रा भी करते रहते हैं। अपने उद्योग समूह में कार्यरत कर्मचारियों के कल्याण की हमेशा चिन्ता रहती है। - 30)-31, कोठारी भवन, नई धानमंडी, कोटा । पता : श्री चांदमल पाटनी कापरेन वाले कोटा के सामाजिक जीवन में आगे रहने वाले श्री चांदमल पाटनी अपनी सामाजिक सेवाओं के लिये उल्लेखनीय व्यक्ति हैं। आपके पिताजी श्री हंसराज जी पाटनी एवं मातेश्वरी श्रीमती केसरबाई दोनों का स्वर्गवास हो चुका है । इन्टरमीडियेट पास करने के पश्चात् आप खेतीबाडी एवं प्रेस पंचायत का कार्य करने लगे। 24 फरवरी सन् 1952 को आपका विवाह श्रीमती शकुन्तला के साथ हुआ। जिनसे आपको चार पुत्र वीरेन्द्र, देवेन्द्र, अशोक कुमार, सन्मति कुमार एवं चार पुत्रियों आशा रानी, अंजूरानी, मौनारानी, मंजूदेवी के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । पाटनी जी दि. जैन अ. क्षेत्र चांदखेडी एवं केशोरायपाटन के प्रचार मंत्री हैं तथा दूसरे क्षेत्रों से भी जुड़े हुये हैं। आप कट्टर मुनि भक्त हैं तथा मुनिसंघों में जाकर आहार आदि से खूब सेवा करते रहते हैं। आप टोंक में रहते थे। वहां आप अपने व्यवसाय के अतिरिक्त आचार्य धर्मसागर जी महाराज एवं आचार्यकल्प श्रुतसागर जी महाराज के चार्तुमासों को सफल बनाया। सन् 1962 में आयोजित वहां के पंचकल्याणक समारोह में भी आपने अच्छा कार्य किया। कोटा में भी सभी सामाजिक आयोजनों में आपका पूर्ण सहयोग रहता है तथा जो भी उत्तरदायित्व आपको दिया जाता है आप उसको पूर्ण सफल बनाने में लग जाते हैं। पता:- पाटनी प्रिन्टर्स, रामपुरा कोटा । श्री जयकुमार जैन एडवोकेट नैनवा के मूल निवासी श्री जयकुमार जी जैन वर्तमान में बूंदी रहते हैं तथा वहीं वकालत करते हैं। सितम्बर 1928 में आपका जन्म हुआ। आपके पिताजी श्री भंवरलाल जी कासलीवाल एवं माताजी श्रीमती गुलाबदेवी दोनों का स्वर्गवास हो चुका है। आप बी काम., एल.एल.बी., साहित्यरत्न करके पहले केन्द्रीय सेवा में चले गये लेकिन कुछ समय के पश्चात् आप वकालत करने लगे । आपकी पत्नी का नाम श्रीमती रतनदेवी है जिनसे आपको दो पुत्र एवं एक पुत्री के पिता बनने का सौभाग्य मिला । आपके सबसे बड़े पुत्र अशोक कुमार जी श्री ई. हैं तथा जलदाय विभाग बूंदी में सहायक अभियंता हैं। अशोक जी की पत्नी प्रतिभा एम.ए. हैं। दूसरे पुत्र राजेन्द्र
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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