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________________ 328/ जैन समाज का वृहद इतिहास आपका सन् 1958 में श्रीमती मनोरमा देवी के साथ विवाह हुआ। श्रीमती मनोरमा देवी भी नियमित पूजा करने वाली महिला हैं । आप दो पुत्र एवं एक पुत्री से सुशोभित हैं। बड़े पुत्र सुनील का विवाह हो चुका है तथा वह बैंक सेवा में कार्यरत है। छाबड़ा जी निरभिमानी एवं अत्यधिक सरल स्वभावी हैं। पता - पी 0, मधुवन वेस्ट, किसान मार्ग,ौंक रोड़,जयपुर। श्री हजारीलाल निगोत्या जयपुर के प्रसिद्ध निगोत्या परिवार में चैत्र शुक्ला एकम संवत् 1965 में जन्में श्री हजारीलाल निगोत्या अत्यधिक धार्मिक एवं सेवाभावी श्रेष्ठी हैं। आपकी माता श्रीमती लाठया बाई एवं पिता श्री म्होरीलाल जी दोनों का ही बहुत पहले स्वर्गवास हो गया था । सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् ज्येष्ठ शुक्ला पंचमी संवत् 1988 को आपका विवाह श्रीमती महताब बाई जों के साथ संपन्न हुआ। आप दोनों को पुत्र एवं दो पुत्रियों के माता-पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त है । प्रारम्भ में आपने अपना ही व्यवसाय किया तथा फिर फूलचन्द जो निगोत्या एवं बम्बई वालों के कार्य किया । वर्तमान में आप जवाहरात का व्यवसाय करते हैं। आपके ज्येष्ठ पुत्र श्री नवरत्नमल का जन्म संवत् 1990 में हुआ तथा 19 वर्ष की आयु में श्रीमती मुन्नादेवी जी के साथ विवाह हुआ। सन् 1972 में बम्बई में आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में इन्द्र इन्द्राणी पद को सुशोभित किया । बोरिवली के मंदिर में आपका विशेष सहयोग रहता है । देशभूषण जी महाराज में आपको अटूट श्रद्धा थी । आपके दूसरे पुत्र सर्व श्री सुमेरमल,कमलकुमार,राजकुमार पार्श्वकुमार एवं महावीर सभी जवाहरात के व्यवसाय में लगे हुये है तथा व्यवसाय के लिये जब कभी अमेरिका आते जाते रहते हैं। आपने यरोप, अमेरिका एवं साउथ एशिया की कितनी बार यात्रायें की हैं। आपकी दोनों पुत्रियों धनेश एवं मनोरमा जैन का ।। विवाह हो चुका है । जैन ने शिकागो में कम्यूटराइज का कोर्स किया है । वहीं आप पढ़ाती भी हैं । आपका विवाह श्री महेन्द्र - जी साह से हो चुका है। श्रीमती महताब बाई धर्मपत्नी श्री निगोत्या जी समाज के सभी कार्यों में आर्थिक श्री हजारीलाल निगोत्या श्री नवरल पल निगोत्या सहयोग देते रहते हैं। जयपुर चूलगिरी पहाड़ पर चन्द्रप्रभु स्वामी की प्रतिमा विराजमान कर चुके हैं । आप दोनों ने सभी तीर्थों की वंदना कर ली है। पता- निगोत्या भवन,मोतीसिंह भोमियों का रास्ता,जयपुर। " सEिN
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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