SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 329
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 3125 सैनाज का पततिार' एवं अन्य दर्शनीय स्थलों की जानकारी दी है । आप जवाहर नगर जैन मंदिर के संस्थापक सदस्य हैं तथा प.बिजैलालजी पांड्या, आमेर रोड़ के संयोजक,पाटोदी जैन मंदिर की कार्यकारिणी के सक्रिय सदस्य हैं । आप लघुविद्यानुवाद ग्रन्थ प्रथम संस्करण के प्रधान सम्पादक हैं तथा दि.जैन तीर्थ स्थलों के रेल एवं सड़क मार्ग के नक्शों के प्रकाशक है। गोधाजी की पली का नाम मुन्नी देवी है जो भी सरल स्वभावी एवं धार्मिक प्रवृत्ति की है, आपके तीन पुत्र एवं एक पुत्री पता: 3--14, जवाहर नगर,जयपुर । डॉ. लल्लूलाल जैन बडजात्या (होमियोपैथ) होमियोपैथी के डाक्टर श्री लल्लूलाल जी बड़जात्या का उल्लेखनीय सामाजिक जीवन रहा है। आपने अब तक कितनी ही सामाजिक संस्थाओं के चुनाव लड़कर उनमें सफलता प्राप्त की है। राजस्थान जैन सभा को कार्यकारिणी सदस्य गत 20 वर्षों से हैं। इसी तरह दि.जैन औषद्यालय को कार्यकारिणी सदस्य हैं। महावीर दि. जैन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की महासमिति के निर्वाचित सदस्य रह चुके हैं। श्री वीर सेवक मंडल की कार्यकारिणी के सदस्य रह चुके हैं एवं दि.जैन मंदिर बड़ा दीवान जी की कार्यकारिणी सदस्य हैं । इसी तरह गत 30 वर्षों से होमियोपैथी धर्मार्थ औषधालय के सहायक सचिव एवं अवैतनिक चिकित्सक हैं । पदमपुरा एवं जयपुर के पंचकल्याणकों में राजा एवं इन्द्र पद से सम्मानित हो चुके हैं। पदपपुरा क्षेत्र के मंदिर में अपने हाथ से मूर्ति विराजमान कर चुके हैं। संगीत में रुचि रखते हैं तथा शुक्रवार सेहेली के प्रमुख सदस्य हैं। __आपका जन्म दि. 28-10-1931 को हुआ था। आपका विवाह सन् 1949 में श्री चिमनलाल जी को पुत्री श्रीमती विमलादेवी के साथ संपन्न हुआ। आप दोनों ही धार्मिक प्रवृत्ति वाले हैं। आपके पिताजी श्री गेंदौलाल जी संगीत विधा में पारंगत थे । समाजरत्न पं.भंवरलाल जी न्यायतीर्थ आपके बड़े भाई हैं। हाईस्कूल,एच.एम.बी.एसबिहार) की परीक्षा में सफलता प्राप्त की है तथा और एम.पी. राजस्थान से हैं । साधुओं की, समाज सेवा एवं रोगियों की सेवा करना ही आपका जीवन बन गया है। मुनिभक्त हैं । साधुओं को आहार देने में रुचि रखते हैं। पता:- 813 लालजी साँड का रास्ता,चौकड़ी मोदीखाना, जयपुर। श्री लूनकरण गोधा बाकीवाला भारत के 15-8-47 को स्वतंत्र होने के दो साल बाद 39-3-49 को बनी राजस्थान की ... राजधानी जयपुर के जैन समाज जयपुर में प्रख्यात बाकीवाला परिवार में 3-11-1871 को जन्में .. स्व. मु. म्हौरीलाल जी के एक मात्र पुत्र लूनकरण का जन्म 13.9-1013 को हुआ। आपकी .. माताजी आपको डेढ वर्ष का छोड़कर 1915 मे स्वार्ग सिधार गई थी। सन् 1934 में आपने .. मैट्रिक किया और महकमा हिसाब में सर्विस करने लगे । लगातार 33 वर्ष तक विभिन्न विभागों में काम करते हुये सन् 1968 में वहां से सेवा निवृत्त हुये ।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy