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________________ 308/ जैन समाज का वृहद् इतिहास श्री रामचन्द्र ठेकेदार 76 वर्षीय श्री रामचन्द्र ठेकेदार ने जयपुर नगर के धार्मिक जीवन में अपनी उदारता, सामाजिकता तथा जिनेन्द्र भक्ति की कितनी ही बार छाप छोड़ने में सफलता प्राप्त की । दि.जैन मंदिर खिन्दूकान में आयोजित तीन लोक पूजा समारोह के आप प्रमुख आयोजक थे । उसी मंदिर में नववेदी का निर्माण करवाकर नवदेवता एवं महावीर स्वामी की धातु की प्रतिमा विराजमान की। तीर्थ यात्रायें करने, धार्मिक समारोहों में भाग लेने में आपको प्रसत्रता होती है । दि. जैन मंदिर खिन्दूकान के आप वर्षों तक अध्यक्ष रहे तथा अ. क्षेत्र चूलगिरी एवं भांकरोटा मंदिर की कार्यकारिणी के सदस्य रहे । आपके दो विवाह हुये । प्रथम विवाह 18 वर्ष की आयु में तथा दूसरा विवाह 26 वें वर्ष की आयु में सरस्वती देवी के साथ हुआ। आपके एक मात्र पुत्र श्री बाबूलाल छाबडा बी.ए. एवं आयुर्वेदाचार्य है। आपकी धर्मपत्नी का नाम निर्मला देवी है। श्री बाबूलाल जी भी सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले युवा नेता हैं । आप अच्छे चिकित्सक हैं । कवि हैं । कवि सम्मेलनों में भाग लेते रहते हैं। ठेकेदार जी द्वारा चूलगिरी पहाड़ पर प्याऊ का निर्माण करवा कर संचालन व्यय वहन किया जाता है । वहीं पर धर्मशाला में आपकी ओर से तीन कमरों का निर्माण करवाया गया है। ख़ानियां पंच कल्याणक प्रतिष्ठा समारोह में इन्द्र-इन्द्रानी बन चुके हैं। श्रीमती सरस्वती देवी धर्मपत्नी श्री रामचन्द्र ठेकेदार पता : 9/1 टेलीफोन कालोनी, टौंक फाटक,जयपुर । PAICC श्री राजमल कासलीवाल (साइवाइवाले) जमवारागढ तहसील के साइवाड़ ग्राम में संवत् 1981 में जन्में श्री राजमल जी कासलीवाल का धार्मिक समाज में अच्छा स्थान है। आपके पिताजी श्री श्यामलाल जी भी अपने क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति थे तथा गांव में ही लेनदेन का कार्य करते थे । आपकी माताजी श्रीमती दाखादेवी का अभी 9 वर्ष पूर्व ही स्वर्गवास हुआ है । आपने गांव में ही सामान्य शिक्षा प्राप्त ही और 17 वर्ष की आयु में मनभरदेवी के साथ विवाह सूत्र में बंध गये । आपको पांच पुत्र सर्व श्री हरिशचन्द्र,हुकमचंद, अमित कुमार,सुभाष एवं रमेशकुमार तथा 4 पुत्रियाँ विमला, गुणमाला,मंजू एवं सरोज के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है। । एक पुत्री को छोड़कर सभी का विवाह हो चुका है। श्री कासलीवाल जी का ब्रत नियम से पूर्ण जीवन है । दोनों पति पत्नी के शुद्ध खानपान का नियम है । मुनियों को भक्ति में आगे रहते हैं । सामाजिक जीवन जीने वाले हैं। जयपुर के महाबोर हायर सैकण्डरी विद्यालय में आयोजित पंचकल्याणक में
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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