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14/ जैन समाज का वृहद् इतिहास
परिषद् का प्रथम अधिवेशन कटनी में सन् 1945 में स्व.प. बंशीधर जी न्यायालंकार इन्दौर की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। इसके पश्चात् पं. जगमोहनलाल जी शास्त्री कटनी, 4, कैलाशचन्दजी शास्त्री वाराणसी, पू. गणेशप्रसाद जी वर्णी, पं दयाचन्द जी शास्त्री सागर, 4. फूलचन्द जी शास्त्री वाराणसी, पं. जीवन्धरजी न्यायतीर्थ इन्दौर, पं. बंशीधर जी व्याकरणाचार्य बीना, डॉ. नेमिचन्द जी शास्त्री, डॉ. दरबारीलाल जी कोटिन्या. डॉ पन्नालाल जी पाहिन्याचार्य सागर. पं. भंवरलाल जी न्यायतीर्थ जयपुर की अध्यक्षता में वार्षिक अधिवेशन सम्पन्न हुये। परिषद् के गुरु गोपालदास बरैय्या स्मृति ग्रंथ, तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा (बार भाग) बहुत ही चर्चित ग्रंथ रहे हैं। पुरस्कार योजना के अन्तर्गत अब तक 10 से भी अधिक विद्वानों को पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जा चुका है। प्रस्तुत इतिहास के लेखक को भी उनकी पुस्तक ' राजस्थान के जैन सन्त : व्यक्तित्त्व एवं कृतित्त्व' पर पुरस्कृत किया जा चुका है। परिषद् के 600 से भी अधिक सदस्य है। वर्तमान में श्री माणकचन्द जी चवरे कारंजा अध्यक्ष एवं श्री पं. धन्यकुमार भौरे कारंजा प्रधानमंत्री है।
जातीय महासभाओं की स्थापना :
अखिल भारतवर्षीय संस्थाओं के अतिरिक्त 20वीं शताब्दी के प्रारम्भ में कितनी ही जातीय महासभाओं की स्थापना हुई। इन जातीय सभाओं की स्थापना का उद्देश्य अपनी अपनी जातियों का उत्थान करना था। ऐसी जातीय सभाओं में जैन खण्डेलवाल महासभा, बघेरवाल जैन महासभा, जैसलवाल जैन महासभा, परवार जैन महासभा, जैन पदमावती पोरवाल महासभा आदि के नाम उल्लेखनीय है। इन जातीय सभाओं ने अपनी जाति का संगठन, जाति सुधार, शिक्षा का प्रचार-प्रसार, जातीय संगठनों के नाम से विद्यालयों की स्थापना आदि कार्य तो अवश्य किये लेकिन जातीय सभायें आपसी कलह, ईष्या, समय के अनुसार अपनी विचारधारा को नहीं बदलने के कारण अधिक वर्षों तक नहीं चल सकी।
जैन खण्डेलवाल महासभा की स्थापना :
जातिहितैषी श्रीमान लुनकरण जी पाण्ड्या झालरापाटन निवासी बम्बई प्रवासी और सेठ पद्मचन्द जी बैनाड़ा आगरा निवासी बम्बई प्रवासी इन्हीं दोनों के विशेष प्रयास से माह सुदी 3 सोमवार वीर संवत् 2445 ता. 28 फरवरी, 1919 को बम्बई में दिगम्बर जैन खण्डेलवाल पचाटेत की बैठक हुई। उसमें अपनी जातीय दशा सुधारने और उन्नति के लिये भारतवर्षीय दिगम्बर जैन खण्डेलवाल महासभा स्थापित करने का विचार किया गया और सर्वसम्मति से सेठ मिश्रीलाल जी बाकलीवाल, सेठ जौहरीलाल जी पाटनी, सेठ फूलबन्द जी बैनाडा, सेठ पं. धन्नालाल जी कासलीवाल, बाबू माणिकचन्द जी बैनाडा, मुंशी मोविन्दराम जी बड़जात्या, भाई सेठ तनसुख जी काला इन सात महानुभावों की एक संस्थापक कमेटी नियत की गई। कमेटी के मंत्री धन्नालाल जी कासलीवाल और सहायक मंत्री माणिकचन्द जी बैनाड़ा नियुक्त किये गये।
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