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________________ जयपुर नगर का जैन समाज /279 जिसका विवाह जयपुर के प्रसिद्ध वकील मुंशी सूर्यनारायण जी के सुपुत्र श्री महावीर कुमार की सेठा के साथ हुआ। प्रारंभ से ही देश सेवा का व्रत होने के कारण कालेज से आपको निष्काषित कर दिया गया तथा 22-2-1932 को अजमेर में सत्याग्रह करने के कारण चार माह की सख्त कैद की सजा सुना दी गई । जब आप जेल से छूटकर वापिस अपने गाँव लौटे तो आपके स्वागत में सारा गांव उमड़ पड़ा। आपके जीवन की कुछ प्रमुख घटनायें निम्न प्रकार हैं : 1. नरायणा नगरपालिका के पांच वर्ष तक निर्वाचित सदस्य रहे । 2. श्री दिगम्बर जैन पंचायत सांभर के सात वर्ष तक अध्यक्ष रहे | 3. सन् 1945 में फुलेरा तहसील में आयोजित राजनैतिक सम्मेलन के महामंत्री पद पर कार्य किया। 4. जयपुर राज्य के सर्वप्रथम लेजिस्लेटिव असेम्बली के सदस्य का फुलेरा तहसील से चुनाव का अवसर प्राप्त हुआ था। 5. कोल्हापुर में आयोजित पंच कल्याणक प्रतिष्ठा समारोह में माता-पिता के पद से अलंकृत किये गये। उसी पंचकल्याणक में आ.देशभूषण महाराज ने आपको एक वर्ष का ब्रह्मचर्य वत दिया । इसके पश्चात् आचार्य श्री शिवसागर जी महा. से यावज्जीवन ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार किया। फिर इन्हीं आचार्य श्री से दूसरी प्रतिमा धारण की तथा आचार्यकल्प श्रुतसागर जी महाराज से सातवीं ब्राह्मचर्य प्रतिमा का व्रत लेकर अपने जीवन की दिशा ही मोड़ दी। लुहाडिया सा.ने 25 वर्ष तक वकालात की तथा उसमें ख्याति भी अर्जित की । लेकिन जब उससे विरक्ति हुई तो 16-8-72 को उससे सदा के लिये विश्राम ले लिया और साधुओं की सेवा, स्वाध्याय, शास्त्र प्रवचन आदि में अपने आपको समर्पित कर दिया । आपने दशलक्षणपर्व में शास्त्र प्रवचन आदि में अपने आपको समर्पित कर दिया। आपको दशलक्षणपर्व में शास्त्र प्रवचन करने, पूजा विधान कराने के उपलक्ष में पांचवा, फागी,सीकर आदि से अभिनंदन पत्र दिये गये। वर्तमान में आपका जीवन वैराग्य पूर्ण है। सीमित परिग्रह, भोजन, स्वाध्याय, सामाजिक पूजा पाठ आदि ही आपके जीवन का क्रम बन गया है। आपकी पत्नी श्रीमती रिखिलता देवी सेवाभात्री महिला थी । प्रतिदिन स्वयं ही घर पर आने वाले मरीजों की मालिस करके हड्डी, पेटदर्द,हसली, आदि को ठीक कर देती थी । दवा भी अपनी स्वंय की ही देती थी। आयु 75 वर्ष एवं तीसरी प्रतिमाधारी थी। पति-पत्नी का ऐसा जीवन यापन अन्यत्र मिलना कठिन है । पता :- शांति निलय,लुहाडिया भवन,अशोक मार्ग,सी-स्कीम, जयपुर श्री फूलचंद जैन गोधा पिछली चार पीढियों से मिष्ठान्न विक्रेता परिवार में दिनांक 20 फरवरी 1919 को श्री। फूलचंद जी गोधा का जन्म हुआ। आपके पिताश्री गणेशीलाल जी जैन एवं माताजी श्रीमती गैरू बाई का दोनों का ही स्वर्गवास हो चुका है । अष्टम कक्षा तक अध्ययन के पश्चात् ही सन् 1936 में आपका श्रीमती अनूपदेवी के साथ विवाह हुआ। आपको दो पुत्रियां पुष्पा एवं सुशीला
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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