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________________ जयपुर नगर का जैन समाज /275 श्री प्रेमचंद छाबड़ा मालपुरा निवासी श्री प्रेमचंद छाबड़ा का जन्म 25 अप्रैल,सन् 1934 को हुआ। आपके पिताजी का नाम अमीचंद जैन था तथा माता धापू बाई आपके पास रहती हैं। सन् 1975 में बी.कॉम.पास किया लेकिन इसके पूर्व ही आप राज्य की सेवा में चले गये थे। जहां से आपने 1 अप्रैल,1988 को लेखाकार के पद से सेवा निवृत्ति प्राप्त की। आपका विवाह सन् 1958 में श्रीमती शांतिदेवी के साथ हुआ। जिनसे आपको चार पुत्रों की प्राप्ति हुई। आपका ज्येष्ठ पुत्र महेन्द्रकुमार एम.कॉम. है तथा उसकी पत्नी श्रीमती मीनाक्षी बीकॉम.है। द्वितीय पुत्र श्री सुरेन्द्र कुमार की पत्नी श्रीमती अरूणा बी.ए.है । तृतीय पत्र श्री देवेन्द्रकमार की पत्नी का नाम इन्द्रबाला है। चतुर्थ पुत्र धर्मेन्द्र कुमार बी कॉम.है। आपके ताऊ जी श्री अभयकुमार जी शुल्लक दीक्षा लेकर आनन्द सागर जी कहलाये। मालपुरा के श्री चन्द्रप्रभुजी (चौधरियान) मन्दिर में महावीर स्वामी को अष्ट धातु की प्रतिमा विराजमान करने का सौभाग्य प्राप्त किया । आपके माता-पिता टोडारायसिंह में मुनि श्री सन्मति सागर जी की क्षुल्लक दीक्षा पर उनके माता-पिता बने थे। आपकी पत्नी के शुद्ध खानपान का नियम है। श्री छाबड़ा जी सन् 1967 से जयपुर में रह रहे हैं। आप बहुत शांत स्वभावी एवं सरल परिणामी हैं । प्रतिदिन मंदिर में पूजा एवं अभिषेक करते हैं। पता : बी-24 मधुवन कालोनी,जैन मंदिर के सामने,किसान मार्ग,ौक रोड,जयपुर। डा. प्रेमचन्द जैन __ जैन अनुशीलन केन्द्र राजस्थान विश्वविद्यालय के व्याख्यातापद पर कार्यरत डा.प्रेमचंद जैन युवा मनीषी हैं। हरिवंशपुराण का सांस्कृतिक अध्ययन विषय पर आपको राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा पी.एचड़ी. उपाधि से अलंकृत किया जा चुका है। आपका शोध प्रबंध प्रकाशित हो चुका है । इसके अतिरिक्त आपने नागौर (राज) के प्रसिद्ध भट्टारकीय शास्त्र भंडार का सूचीकरण किया है जो विश्वविद्यालय से प्रकाशित किया गया है । डा. जैन का जन्म 22 अगस्त,1951 में हुआ। आपका विवाह वैद्य प्रभुदयाल जी कासलीवाल की सुपुत्री चन्द्रकला जैन के साथ संपन्न हुआ। श्रीमती चन्द्रकला भी बी.ए., एल.एल.बी. है । आप एक पुत्र एवं तीन पुत्रियों से सुशोभित हैं । आपके तीन छोटे भाई है। महावीर प्रसाद एम.एस.सी.,ताराचंद जैन बी कॉम.एवं ओमप्रकाश जैन एम.ए. आपके पिताश्री फूलचन्दजी एवं माता नारंगीदेवी अपने ग्राम चैनपुरा रहते हैं। पहा : बी 417, सुख विलास,मालवीय नगर,जयपुर ।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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