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________________ 2728 जैन समाज का बृहद इतिहास श्री प्रवीणचन्द्र छाबड़ा पत्रकारिता के क्षेत्र में सुपरिचित श्री प्रवीणचन्द्र छाबड़ा को समाज में उप विचारों का वक्ता माना जाता है । सभाओं में वे स्पष्टवादिता के लिये प्रसिद्ध हैं। आपका जन्म 25 जुलाई 1931 को हुआ । आपके पिताजी स्व. गुलाबचन्द जी छाबड़ा भो अपने समय के लप विचारों के वक्ता व समाज सुधारक थे । पं. चैनसुख दास जो न्यायतीर्थ की शिष्य परम्परा में श्री छाबड़ा अच्छे वक्ता होने के साथ स्वतंत्र विचारक व कलम के धनी हैं । उनका सबसे पहला लेख 'वीर वाप्पी में प्रकाशित हुआ,जब वे सत्रह वर्ष के थे । उन्होंने 1943 में पत्रकारिता के क्षेत्र में दैनिक ' जन्मभूमि से प्रवेश किया । आप कलकत्ता के विश्वमित्र, लोकमान्य तथा जयपुर के दैनिक लोकवाणी में सह संपादक रहे । भाषायी संवाद समिति ' समानानी के लिये राजाशार पं.नागल हरियाणा र पंजाब के ब्यूरो प्रमुख के पद पर काम कर चुके हैं। आप अखिल भारतीय श्रप जीवी पत्रकार परिषद् को राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य,राजस्थान श्रमजीवी पत्रकार संघ के महामंत्री राजस्थान में केन्द्रीय कर्मचारी संघों की समन्वय समिति के संयोजक रह चुके हैं। आपने तृतीय विश्व पत्रकार सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान आपने कई देशों की यात्रा की । सामाजिक संस्थाओं में श्री दि. जैन अतिशय क्षेत्र श्री पार्श्वनाथ चूलगिरी के संरक्षक, राजस्थान जैन सभा के संस्थापन सदस्य हैं। अन्य संस्थाओं में महावीर हायर सैकेण्डरी स्कूल, आरोग्य भारती 'के नाम उल्लेखनीय हैं । सर्वोदर साहित्य समाज के संस्थापक सदस्य एवम् अर्जुनलाल सेठी नगर की परिकल्पना को साकार करने में प्रमुख योगदान रहा है। महाराजा सवाई जयसिंह स्मृति दिवस के प्रमुख आयोजक,जयपुर में तास मण्डल एवम् अन्तर्राष्ट्रीय सभा भवन की स्थापना आपकी प्रेरणा का सुफल है। अब तक आपकी चांदन के बाबा" धम्मम्-शरणम् ' तथा ' सिद्ध क्षेत्र की पगडण्डी पर ' रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। आपको राजस्थान दिवस पर 1989 में राजस्थान सरकार द्वारा पत्रकारिता के लिये सम्मानित किया गया | आपको तीन पुत्र व दो पुत्रियों के पिता होने का सौभाग्य प्राप्त है । पता : 2, न्यू-कालोनी,जयपुर। श्री प्रवीणचन्द पाटनी (खिन्दूका) जोवन में सदा क्रियाशील रहने वाले श्री प्रवीणचन्द पाटनी का जन्म 1 अगस्त सन 1920 को हुआ था।आपके पिताजी श्री गुलाबचन्दजी तो आपके जन्म के एक मास पश्चात् ही स्वर्ग सिधार गये। रह गई अकेली मां तीजाबाई । आपने प्रवेशिका, मैट्रिक एवं इन्टर तक अध्ययन किया और सरकारी कार्यालय में काम करने लगे। धीरे-धीरे अपने पद पर वृद्धि पाते अन्त में अनुभागाधिकारी राजस्थान सचिवालय के पद से सेवा-निवृत्त हुये। सन् 1948 में आपका विवाह श्री हजारीलाल जी मुंशी की पुत्री श्रीमती मुन्नीदेवी के साथ संपन्न हुआ । मुन्नी देवी आध्यात्मिक महिला हैं । महिला जागृति संघ की सदस्य रह चुकी हैं। आपको तीन पुत्रों गजेन्द्र कुमार, कैलाशचन्द एवं लोकेन्द्र कुमार एवं दो पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त है।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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