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________________ 238/ जैन समाज का वृहद् इतिहास रायपुत्र एवY श्री जवाहिर लाल जैन देश सेवा एवं खादी प्रचार में समर्पित श्री जवाहर लाल जी जैन जयपुर के स्वतंत्रता सेनानियों में प्रमुख स्थान रखते हैं 19 दिसम्बर 1909 को आपका जयपुर में जन्म हुआ ! आपके पिताजी श्री जीवनलाल जी बड़जात्या का निधन सन् 1936 में हुआ तथा माताजी का साया सन् 1944 में उठ गया। आपने सन् 1932 में एम.ए(इतिहास) में किया,विशारद की परीक्षा पास की और फिर सन् 1943 में आपने पुन: राजनीतिशास्त्र में एम.ए. किया । आपका प्रथम विवाह 1926 में तथा दूसरा विवाह 1931 में श्रीमती कस्तूरबाई के साथ हुआ। आपको पांच पुत्र एवं एक पुत्री के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त है । आपके सभी पुत्र उच्च शिक्षित हैं। सबसे बड़े पुत्र शांति विजय जैन एम.एस.सी. हैं तथा कृषि विभाग में संयुक्त निदेशक हैं। दूसरे पुत्र कांतिकुमार औषध निर्माता एवं विक्रेता हैं। श्री सुशील कुमार ब्यावर माइन्स में इंजीनियर हैं । चौथा पुत्र सुरेश कुमार जयपुर मेटल्स में कार्यरत है तथा पांचवें पुत्र श्री सुरेन्द्र कुमार मैकेनिकल इंजीनियर है । सभी के विवाह हो चुके हैं । जैन साहब ने सर्वप्रथम जयपुर एलबम का श्री केशरलाल जी अजमेरा के साथ संपादन किया। जयपुर स्टेट के संबंध में यह एक ऐतिहासिक दस्तावेज है जिसका सभी ओर से हार्दिक स्वागत हुआ । आपके द्वारा अब तक 200 से भी अधिक पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। इनमें सर्वोदय अर्थव्यवस्था,खादी विचार,कुमारप्पा सुन्दर मानव सुन्दर समाज आदि के नाम उल्लेखनीय हैं । जयपुर की प्रसिद्ध दैनिक राज पत्रिका में स्थायी स्तंभ के लेखक हैं। आप सर्वोदयी हैं | जयप्रकाशनारायण के साथ राजस्थान एवं बिहार में संपूर्ण क्रांति का कार्य किया । राष्ट्र संत विनोबा जी के साथ भूदान एवं ग्रामदान आंदोलनों में समर्पित रहे । जवाहिरलालजी ने प्रारंभ में अध्यापक के रूप में जीवन प्रारंभ किया। बाद में पोद्दार कोलेज में प्राध्यापक एवं उपाचार्य रहे । आप लोकवाणी दैनिक पत्र के सन् 19440 से 52 तक संपादक रहे । सन् 1954-59 तक खादी ग्रामोद्योग विद्यालय स्योदासपुरा में प्राचार्य रहे । राज.हरिजन सेवक संघ में उपाध्यक्ष रहने के पश्चात् वर्तमान में कुमारप्पा शोध संस्थान के 68 से डाइरेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। आपका राजनैतिक जीवन भी रहा। जयपुर राज्य प्रजा मंडल एवं राज प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सक्रिय सदस्य रहे । इमर्जेन्सी के समय में सत्याग्रह करके छ: महीने की जेल गये । शराब बंदी आंदोलन में भी जेल जाकर आये। आप अब तक 2 बार विदेश यात्रा कर चुके हैं। पहली विदेश यात्रा 1978 में पश्चिमी यूरोप में डेनमार्क तथा दूसरी 1680 में यूरोप, अमेरिका, जापान, थाइलैण्ड, हांगकांग गये थे। आपको योग, ध्यान धारणा की ओर विशेष रुचि है। आप सभी तीर्थों की यात्रा कर चुके हैं। आपके हृदय में समाज सेवा एवं राष्ट्र सेवा दोनों के लिये समान स्थान है। पता: ए 21 जीवन ज्योति, बजाज नगर, जयपुर । श्री जीवनलाल बगडा नगर के प्रसिद्ध बगडा परिवार में दि.2 नवम्बर 1916 को जन्मे श्री जीवनलाल जी की गणना जयपुर के प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय समाजसेवियों में की जाती है। उनके पिताजी श्रीगंगालाल जो बगडा भी समाजम प्रसिद्ध थे जिनका स्वर्गवास 12 में ही हो गया था। श्री गंगालाल जी अर्जुनलाल जी सेठी के प्रमुख शिप्यों में थे तथा उनको पर्याप्त सहयोग देते थे। आप स्वयं भी अपने पिताजी के साथ उनके संपर्क में आये थे तथा आपको उनको स्पष्टवादिता एवं समाज सेवा का व्रत उनसे प्राप्त हुआ।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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