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________________ 218/ जैन समाज का वृहद् इतिहास श्री उत्तमचंद जी का जन्म दि. 15-10-1950 को हुआ। सन् 1967 में आपने हायर सैकेण्डरी की परीक्षा पास की तथा एक वर्ष कॉलेज में पढ़ने के पश्चात् शिक्षा जगत् को छोड़कर व्यवसाय में लग गये। आपका विवाह श्रीमती सरोजदेवी के साद दि. 19-2.72 को संपन्न हुआ। आपके 2 पुत्र लोकेश एवं तपेश हैं। पांड्या जी दानशील एवं धार्मिक प्रकृति के युवा समाजसेवी हैं। दि.जैन अ.क्षेत्र बैनाड़ के मंदिर पर । जुलाई,1986 को ध्वजारोहण एवं कलशारोहण में सौधर्म इन्द्र के पद से अलंकृत हुये । वहां के मंदिर के जीर्णोद्धार में आपने खूब सहयोग दिया तथा अपने ग्राम खोरा में औषधालय की स्थापना की । उसी ग्राम में सैकण्डरी स्कूल में एक कमरे का निर्माण करवाया। राज.जैन साहित्य परिषद् की ओर से आयोजित श्रुतपंचमी समारोह में रथ के सारथी बनने का यशस्वी कार्य किया। वर्तमान में आपश्री दि.जैन चन्द्रप्रभु अतिशय क्षेत्र बैनाड़,श्री दि.जैन सेवा समिति मालवीय नगर जयपुर एवं श्री बाहुबली ट्रस्ट मालवीय नगर के अध्यक्ष है । इसके अतिरिक्त श्री दि.जैन औषधालय जयपुर एवं श्री दि.जैन संस्कृत आचार्य महाविद्यालय के स्थायी आजीवन सदस्य हैं । इनके अतिरिक्त और भी अनेक संस्थाओं से आप जुड़े हुए हैं | समाज से आपको बहुत आशायें पता : न्यू मेडिकल चैम्बर ,दूनी हाऊस, फिल्म कालोनी,जयपुर | श्री उमरावमल साह जवाहरात व्यवसाय में कुशल माने जाने वाले श्री उमरावमल साह का जन्म 17-91924 को जयपुर में श्री गुलाबचन्द जी साह के यहां हुआ । आपकी माताजी श्रीमती लाडदेवी का स्वर्गवास अभी मई 1984 में हुआ था। मैट्रिक एवं संस्कृत में उपाध्याय पास करने के पश्चात् जवाहरात व्यवसाय में प्रवेश किया और विगत 45 वर्षों से इसी क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। आपका विवाह सन् 1944 में श्रीमती पदमादेवी का साथ संपन्न हुआ । आपको पांच पुत्रों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त है । आपके चार पुत्र सुनील,प्रदीप,अशोक एवं अरुण पेज्युएट हैं। प्रदीप एवं अशोक गलीचा का कार्य करते हैं। बाकी दोनों पुत्र जवाहरात में व्यवसायरत हैं। अपने व्यवसाय के प्रसंग में श्री उमरावमलजी दो बार विश्व भ्रमण जिनमें केनिया यगांडा दक्षिणी अफ्रीका आदि भी सम्मिलित हैं कर चुके हैं। आपके ज्येष्ठ पत्र अनिल का अभी दुखद निधन हो गया जिससे आपको एवं पूरे परिवार को ही गहरा धक्का लगा है। तीर्थयात्रा प्रेमी हैं। सभी सामाजिक संस्थाओं को आर्थिक सहयोग देते रहते हैं। भगवान महावीर 25 सौं वां निर्वाण शताब्दी समिति की ओर से आपका स्वर्णपदक से सम्मान किया गया था । दि. जैन औषधालय जयपुर के स्वर्णजयन्ती अवसर पर आप ही उसके अध्यक्ष रहे थे। आपके पुत्र सुनील कुमार जवाहरात के अच्छे पारखी हैं । विदेशों में जाते ही रहते हैं । साह साहब जयपुर के प्रतिष्ठित एवं सेवाभावी नागरिक हैं । आपसे जयपुर को बहुत आशायें हैं । पता : 782 चूरूकों का रास्ता, चौडा रास्ता जयपुर । -
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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