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________________ 208/ जैन समाज का वृहद् इतिहास श्री भौंरीलाल चौधरी पाटनो गोत्रीय श्री भौरीलाल चौधरी सर्राफा व्यवसाय में रज्याति प्राप्त व्यवसायी थे। आपका जन्म दिसम्बर 1917 को हुआ । आपने सामान्य शिक्षा प्राप्त की और फिर पैतृक व्यवसाय में चले गये। आपके दादा श्री भूरामल चौधरी का देहान्त आपके बाल्यकाल में हो गया या एवं आपके पिताजी श्री छिगनलाल जी का सन् 1950 में एवं माताजी सुन्दरदेवी का 25 फरवरी सन् 1962 को निधन हो गया । सन् 1917 में आपका विवाह श्रीमती उमरावदेवी के साथ हुआ, जिनका निधन 7 सितम्बर 1959 को हो चुका है। दोनों पति पत्नी को दो पुत्रों के माता-पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ लेकिन बड़े पुत्र श्री प्रेमचन्द जी चौधरी का 4 मार्च सन 1957 को अचानक स्वर्गवास हो गया । श्री प्रेमचन्द जो आपके द्वारा श्री शांतिनाथ जी की खोह में आयोजित इन्द्रध्वज विधान में इन्द्र के पद से सुशोभित हुये थे। श्री चौधरी जी मुनि भक्त थे । आचार्य शांतिसागर जी, आचार्य श्री वीर सागर जी महाराज के जयपुर चतुर्मास में आहार आदि से पूर्ण सेना की । इसी तरह आचार्य देशभूषण जी महाराज के चातुर्मास में भी आपने पूर्ण सहयोग दिया । आहार आदि को व्यवस्था में भाग लिया । श्री दि. जैन मंदिर श्री शांतिनाथ जी खोह जयपुर की देखरेख पिछले 15 वर्षों से आपका परिवार ही करता आ रहा है । श्री चौधरी जी का 7 जून 1991 को स्वर्गवास हो गया । श्री मानकचन्द जैन बड़जात्या चौधरी घीसीलाल जी के द्वितीय पुत्र श्री मानकचन्द जैन का जन्म मौजमाबाद में 16 अवटूबर 1933 को हुआ ! इन्होंने सन् 1954 में बी.एस-सी. किया। राज्य सरकार में विभिन्न अराजपत्रित पदों पर रहते हुये सन् 149) में एल.एल.बी.परीक्षा उत्तीर्ण की । सन 1962 में आप , तहसीलदार पद पर पदोत्रत हुये । सन् 1976 में आप आर.ए.एस. कैडर में पदोन्नत हुये और ! सोकर आगेर ब्यावर गंगापुरमिटी व निम्बाहेड़ा में उपखण्ड अधिकारी एवं उपखण्ड मजिस्ट्रेट के पद पर रहकर पूर्ण परिश्रप वलान के साथ कार्य किया। सन 198) में आप आर.ए.एस. । की वरिष्ठ वेतन श्रृंखला में पदोनत होकर अतिरिक्त कलेक्टर एनं अति. जिला मजिस्ट्रेट, दौसा के पद पर पदासीन हुये। आपका विवाह 11 मार्च, 1955 को श्री गेंदीलाल जी साह की सुपुत्री श्रीमती चम्पा जैन के साथ सम्पत्र हुआ। आप दोन को दो पुत्रियां रेणु व रंजना एवं तीन पुत्रों राकेश राजीव व रवि के माता-पिता करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आप विनम्र स्वभाव के मिलगमार एवं सबको माथ लेकर चलने वाले थे। जयपर से श्री महावीर जी की पदयात्रा में आप प्रायः प्रतिवर्प मम्मिलित होते थे। आप सामाजिक कार्यों में भी काफी रुचि रखते थे। आप जहा जहां भी प्रस्थापित रहे समाज के सम्पर्क में रहे तथा जनता ने लोकप्रिय अधिकारी रहे। आपका आकस्मिक नं दुखद निधन दिनांक 29.11.91 को हो गया ।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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