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164/ जैन समाज का वृहद् इतिहास
व्यवसाय:किराणा
विवाह :16 फरवरी सन् 1960 पत्नी का नाम : श्रीमती चिन्तामणि जी प्रथम/द्वितीय श्रीमती सुमित्रा परिवार : दो पुत्र · आनन्द कुमार एवं पारस मल 4 वर्ष,14 वर्ष पुत्री-4, आशा,रन्जना,मनीषा एवं लक्षपी । प्रथम पुत्री का विवाह हो चुका है। शेष तीनों अध्ययन कर रही हैं ।
विशेष: आपके पूर्वों ने हस्तेडा में मंदिर निर्माण करवाया था । आप जैन स्कूल डिब्रूगढ़ के सेक्रेटरी भी रह चुके हैं। समाज सेवा में विशेष रुचि रखते हैं। आपकी धर्मपली व्रत उपवास खून करती रहती हैं। अब तक दशलक्षण व्रत के उपवास 4 वर्ष तक लगातार कर चुकी हैं । आपके छोटे भाई श्री लालचन्द की धर्मपत्नी गिनिया देवी भी दशलक्षण के उपवास कर चुकी
पता : तरुण समिति लेन,शांति पाड़ा,डिबूगढ (आसाम) श्री मूलचन्द छाबड़ा
जन्मतिश्चि : संवत् 1981 का कार्तिक मास शिक्षा: सामान्य व्यवसाय : अहिंसा केमिकल फैक्टरी माता-पिता : श्री रामप्रताप जी जिनका 57 वर्ष पूर्व केवल 25 वर्ष की आयु में स्वर्गवास हो गया था। श्रीमती लक्ष्मीदेवी जी - आयु 80 वर्ष,नलबाड़ी में आपके साथ रहती हैं। विवाह : संवत् 2002 में सुश्री कंचन देवी के साथ पाणिमहण संस्कार हुआ। परिवार : आपके 9 पुत्र एवं 4 पुत्रियां हैं। सबसे बड़े पुत्र का नाम
1. नेमीचन्द है । आयु 33 वर्ष,पत्नी - सुमित्रादेवी,दो पुत्र एवं एक पुत्री है। 2. सम्मत कुमार बी.ए.31 वर्ष । पत्नी - श्रीमती सुनिता एक पुत्री है। 3. प्रदीप कुमार - बी.ए. 29 वर्ष । पत्नी • श्रीमती कल्पना । एक पुत्र की मां हैं।
विवाह के पूर्व ही आपने दशलक्षण व्रत के उपवास कर लिये थे। 4. प्रकाशचन्द - सी.ए. कर रहे हैं। आयु 27 वर्ष
5.विमल कुमार