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________________ 124 / जैन समाज का वृहद् इतिहास आपका जीवन धार्मिक साधना का जीवन है। पूजा-पाठ का जीवन है इसलिये घर में ही चैत्यालय के रूप में एक बंदी बनवाकर उसमें पांच मूर्तियां विराजमान कर दो हैं। इसके अतिरिक्त नैनागिर सिद्ध क्षेत्र में समवसरण में एवं बाहुबली के पास मूलमन्दिर (कर्नाटक) में मूर्तियां विराजमान करने का सौभाग्य प्राप्त किया । आपके शुद्ध खानपान का नियम है जिसे उन्होंने संवत् 1998 में सूर्यसागर जी महाराज के पास लिया था। मुनिभक्त हैं आचार्य वीर सागर जी, शिवसागर जी एवं निर्मलसागर जी सभी की भक्ति कर चुके हैं। आहार देने में रुचि रखते हैं। आप दानी स्वभाव के हैं लूणवा धर्मशाला एवं साद्धूमल विद्यालय में एक एक कमरा बनवाया है। सागर की विद्यालय में भी कमरा बनवाया है। सीकर के विद्यालय में कमरा बनवाया, लूणवा में भी मन्दिर से फाटक तक फर्श बनाई हैं। फतेपुर में विद्यालय में भी काम करवाया है। जयपुर की विजैराम जी पांड्या की नशियां में जीर्णोद्धार का कार्य करा चुके हैं। कल्याण निकेतन सम्मेदशिखर के संरक्षक हैं। महासभा की ट्रस्ट कमेटी के ट्रस्टी हैं। दो बार पूरे तीर्थों की वंदना कर चुके हैं। आपके पिताजी साहब गिरधारी लाल जी का पालन पोषण मुनि श्री विजयसागर जी महाराज की माता द्वारा हुआ था । इसलिये ये भी धार्मिक प्रकृति के थे। उनका स्वर्गवास 17 दिसम्बर, 1941 को जब वे 60 वर्ष के थे तभी हो गया। आपकी माताजी मेखा देवी का स्वर्गवास 19 अगस्त, 1962 में हो गया। पाटनी जी सरल एवं सीधे सादे धार्मिक स्वभाव एवं आतिथ्य प्रेमी महानुभाव हैं। आपके समाधिमरण पूर्वक मृत्यु का अलिंगन की पूरी लगन है। आपको अपने बीच में पाकर हम गौरवान्वित हैं। पता: 1. हिन्दुस्तान टायर कारपोरेशन. ए.टी. रोड, गौहाटी (आप) 2. सोहनलाल उत्तमचंद पाटनी, डी-21-ए, सिवाड एरिया, बापू नगर, जयपुर । श्री शान्तिलाल पापड्या पता: भंवरलाल शान्तिलाल फर्म: सरावगी एण्ड कम्पनी, न्यू मार्केट, डिब्रूगढ (आसाम) जन्मतिथि : संवत् 1994 शिक्षा : दसवीं तक माता-पिता : स्व. भंवरीलाल जी पाण्ड्या, जिनका दि. 01/07/1981 को 67 वर्ष की आयु में सिलापधार (लखीमपुर) में स्वर्गवास हो गया । माताजी श्रीमती चन्द्रावती देवी हैं, जिनकी आयु 67 वर्ष की है। व्यवसाय : डिब्रूगढ गल्ला किराणा, सिलापथार हार्डवेयर एण्ड बिल्डिंग मेटेरियल्स तथा गौहाटी में तिरपाल तथा रेगजीन बैग इत्यादी । विवाह अक्टूबर, 1956 में श्रीमती मनोहरी देवी के रूय सम्पन्न हुआ । !
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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