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________________ 116/ जैन समाज का वृहद् इतिहास श्री राजकुमार सेठी देश आजाद होने के तीन सप्ताह पश्चात् दिनांक 07.09,1947)को जन्मे श्री राजकुमार सेठी ने अपनी सामाजिक सेवाओं एवं युवकोचित कार्यों से अपने परिवार का नाम ही रोशन नहीं किया है बल्कि स्वयं के व्यक्तित्वको भोगपतीयस्ता साबसा लिया है। सारे पिता स्ट फूलचन्द जी सेठी एवं माता श्रीमती लाडा देवी के वे तीसरे पुत्र हैं । सन 1967 में उन्होंने गोहारी विश्वविद्यालय से बी.कॉम.किया। 23वें वर्ष में उनका विवाह श्रीमती ज्ञानादेवी के साथ सम्पत्र हो गया। पति-पत्नी को दो पुत्र एवं एक पुत्री के माता-पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका समाज सेवा: समाजसेवा की धुन उनको प्रारम्भ से ही लग गई थी। दि.जैन महासभा के वे सक्रिय सदस्य हैं तथा महासभा के प्रकाशन विभाग के मंत्री हैं तथा आपके मंत्रित्वकाल में प्रकाशन विभाग ने अच्छा कार्य किया है। अब तक 25 पुस्तकों का प्रकाशन किया जा चुका है । महावीर मंथ अकादमी जयपुर के वे सह संरक्षक हैं तथा द्वितीय विश्व जैन कॉन्फ्रेन्स लन्दन में वे पूर्वान्चल प्रदेश का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। इसके पश्चात् तृतीय विश्व जैन कॉक्रेन्स देहली में आयोजित पूर्वान्चल प्रदेश के संगठन संयोजक रहे थे। विभिन्न संस्थाओं में योगदान : खण्डेला विकास समिति के आप उपाध्यक्ष हैं तथा भारतीय दिग.जैन तीर्थ-क्षेत्र कमेटी के सदस्य हैं । जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति पूर्वान्चल समिति के महामंत्री रहे हैं । इसी तरह भगवान बाहुबलि सहस्त्राब्दि महामस्तकाभिषेक समिति के सदस्य दि.जैन त्रिलोक शोध संस्थान की कार्यकारिणी के सदस्य हैं । इसी तरह दि.जैन सिसान्त संरक्षिणी कमेटी,स्याद्वाद शिक्षण परिषद्,बंगाल, बिहार, उड़ीसा तीर्थ-क्षेत्र कमेटी,मारवाडी रिलीफ सोसायटी के माननीय सदस्य हैं । दि.जैन समाज डीमापुर के संयुक्त सचिव,डीमापुर टैक्सटाइल एसोसियेशन के संयुक्त सचिव हैं। सम्मान-पत्र: अपनी सेवाओं के कारण डीफु एवं बोलाखात जैन समाज द्वारा सम्मानित भी हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त समय-समय पर और भी संस्थाएं आपको सम्मानित करती रहती हैं। आप आदिवासी कल्याण संगठन डीमापुर के कोषाध्यक्ष,बनवासी कल्याण केन्द्र के प्रमुख सदस्य हैं । ये संस्थायें मानव मात्र की सेवा के प्रति समर्पित रहती हैं। धार्षिक कार्य: हरिद्वार के नव निर्मित मन्दिर में एक कमरा बनवाकर एक बड़ी भारी कमी की पूर्ति की । नलबाड़ी के पंचकल्याणक समारोह में मन्दिर के शिखर का ध्वजारोहण कर चुके हैं।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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