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________________ 88/ जैन समाज का वृहद इतिहास श्री अपरचन्द पाटनी वर्तमान में आएकी आयु 65 वर्ष की है । आपने जीवन में यद्यपि सामान्य शिक्षा ही प्राप्त की है लेकिन आपकी सूझबूझ,व्यापारिक दक्षता, नेतृत्व करने की शक्ति सभी प्रशंसनीय है । आपके पिताजी श्री रिद्धकरण जी का 35 वर्ष की आयु में ही स्वर्गवास हो गया और माताजी श्रीमती जंवरीदेवी का अभी 10 वर्ष पूर्व ही स्वर्गवास हुआ है। विवाह : आपका विवाह 15 वर्ष की आयु में श्रीमती मैना देवी के साथ सम्पत्र हुआ। ख्यवसाय : गल्ला एवं किराणा,डिब्रूगढ़ एवं डीमापुर दोनों ही नगरों में व्यवसाय है। सन्तार : चार पुत्र हैं। ज्येष्ठ पुत्र श्री पदमकुमार 43 वर्षीय है। पत्नी का नाम शकुन्तलादेवी है । आपके दो पुत्र एवं दो पुत्रियां हैं । डीमापुर का व्यवसाय आप ही देखते हैं। दूसरे पुत्र श्री प्रसन्न कुमार, आयु-40 वर्ष,धर्मपत्नी संतोषदेवी,आपके तीन पुत्रियां एवं दो पुत्र हैं। तीसरे पुत्र श्री निर्मलकुमार हैं । 35 वर्षीय हैं । धर्मपली ललिता देवी हैं । पांच पुत्रियों के पिता हैं | चतुर्थ पुत्र श्री सुरेश कुमार हैं। 40 वर्षीय युवा हैं । श्रीमती त्रिशला धर्मपत्नी हैं। मैना देवी धर्मपत्नी अमरचन्दर्जी पाटनी विशेष : श्री पाटनी बी का डिब्रूगढ जैन समाज में सम्माननीय स्थान है । आतिथ्य प्रेमी हैं । दशलक्षण वत्त के उपवास आप एक बार एवं आपकी धर्मपत्नी श्रीमती मैना देवी तीन बार कर चुकी हैं । डिबूगढ़ में लेखक को आपके घर पर ठहरने का अवसर मिल चुका है । आपने डिवूगढ़ मन्दिर को नींव लगाई थी तथा वहां आयोजित सिद्धचक्र विधान में इन्द्र के.पद से सुशोभित हुये थे । धर्मपत्नी के शुद्ध खान-पान का नियम है । मुनियों को आहार देने में रुचि रखती हैं। आपने सपरिवार सभी तीर्थों की वन्दना करती है। आपकी पुत्रवधुयें,श्रीमती शकुन्तलादेवी श्रीमती सन्तोष देवी एवं ललिता देवी ने एवं तीसरे पुत्र निर्मलकुमार ने दशलक्षण व्रत के उपवास करने का यशस्वी कार्य किया पता : रिद्धकरण अमरचन्द पाटनी,माहम बाजार,डिब्रूगढ़ (आसाम)। श्री इन्दरचन्द पाटनी जन्म तिथि : संवत् 1964 शिक्षा : सामान्य : कुचामन में पं.चैनसुखदास जी न्यायतीर्थ के छात्र रहे हैं। व्यवसाय : गल्ला का व्यवसाय । ___ माता-पिता; स्व. श्री नेमीचन्द जी का संवत् 2008 में स्वर्गवास हुआ। माता स्व. श्रीमती चन्दरी बाई - आपका सन् 1982 में स्वर्गवास हो चुका है।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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