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है। इन सब गुणों से हीन होने पर भी जो प्रतापी है वहीं राजा है । प्रतापवान राजा ही शत्रुओं को नष्ट कर सकता है, जैसे सिंह मृगों को । जो राजा व्यसनग्रस्त न हो, यहीं राज्य के व्यसन दूर कर सकता है अन्यथा वह वृहत् राज्य के व्यसन दूर करने में समर्थ नहीं हो सकता | जिम्म राजा के शास्त्ररूपी नेत्र नहीं है, वह राजा अन्धा कहा जाता है जिसने मद से सन्मार्ग को बिगाड़ दिया है ऐसा नेत्रों वाला अन्धा, अन्धा नहीं है ।
साम, दाम, दण्ड, भेद, माया, उपेक्षा और इन्द्रजाल ये सात जय के उपाय है । नीति के जानने वाले को ये सम्पूर्ण उपाय शत्रु की सेना व अपने द्रोहियों में प्रयोग करना चाहिए। यदि इन उपायों का प्रयोग किए बिना प्रयाण किया जाय तो वह चेष्टा अन्धे के समान होती है । जैसी इना हो या रूप धारण करना अम्न शाब काला जल वर्षाना. अंधकार में लीन हो जाना यह सब मानुषी मावा है । अन्याय, व्यसन तथा युद्ध में प्रवृत्त हुए का निवारण न करना उपेक्षा है। मैघ, अन्धकार, वर्षा, अग्नि, पर्वत तथा अद्भुतदर्शन तथा दूर स्थित भ्वजायुक्तसेना का दर्शन होना. छिन्न भिन्न और संस्कृत वस्तु का दिखाना यह इन्द्रजाल विद्या शत्रुओं को भय दिखाने के लिए कल्पित की जाती है। इस प्रकार के राजनीतिपरक विविध कथनों में कापन्दकीय नीतिसार ओतप्रोत है।
फुटनोट) 1. डॉ. विमलचन्द्र पाण्डेय : प्राचीन भारत का || 19. डॉ. राधाकुमुद मुकर्जी : हिन्दू सभ्यता पृ. 1140
राजनीतिक तथा सांस्कृतिक इतिहास पृ.64 20. डॉ. विमलचन्द पाण्डेय : प्राचीन भारत का 2. ऋग्वेद दशम् मण्डल सृक्त 179 ऋचा 2 | राजनैतिक तथा सांस्कृतिक इतिहास पृ. 206 3. ऋग्वेद प्रथम मण्डल सूक्त 44 ऋचा 10 | 21. महाभारत शान्तिपर्व 59:16-21.68/1-16 4. ऋग्वेद चतुर्थ मण्डल सूक्त 4 ऋचा 3 22. वहीं 5613-6,57/31 5. ऋग्वेद मण्डल 1 सूक्त 26 ऋचा 3 23. वही आरण्यक 186/90 6. ऋग्वेद द्वितीय मण्डल सूक्त 26 ऋचा 3 24. वही शान्तिपर्व 139/9 7. ऋग्वेद दशम् मण्डल सूक्त 27 ऋचा 5 25. वहीं आदिपर्व 5715-6 शान्ति 63/26 8. ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 17 ऋचा 26. हिन्दू सभ्यता पृ. 141-142 9. ऋग्वेद मण्डल १ सूक्त 7 ऋचा 5 27. डॉ. कामेश्वर प्रसाद मित्र : महाभारत में 10.पंडित विश्वेश्वलाथ रेड : ऋग्वेद पर एक लोकल्याण को राजकीय योजनायें पृ. 67 ऐतिहासिक ए. 212, 213
28. वहीं पृ. 209 11.डॉ. राधाकुमुद मुकजी : हिंन्दृ सध्यता पृ.82 29. हिन्दू सभ्यता पृ. 142 12. वही पृ.83
30. रामायण 2/14/40 13. बलदेव उपाध्याय : वैदिक साहित्य और 31,डॉ, विमलचन्द्र पाण्डेय : प्राचीन भारत का संस्कृति पृ. 140-741
राजनैतिक तथा सांस्कृतिक इतिहास . 14. अथर्ववेद 7:12/1
209-210 15. वहीं 7/1212
32. काणे : धर्मशास्त्र का इतिहास (प्रथम 16. वही 5/19:15
भाग) पृ. 46-47 17, वहीं 6/88/3
33. मनुस्मृति 7/3 18. डॉ. राधामुकुट मुकी हिन्दू सभ्यता पृ. 102 || 34. मनुस्मृति 714-11