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________________ 152 गुप्तचर और उनका महत्त्व - गुप्तचर स्वदेश, परदेश सम्बन्धी कार्य- अकार्य का ज्ञान करने के लिए राजाओं के नेत्र हैं। पद्मचरित में इन्हें चार कहा गया है 1 राजा माली के विषय में कथन है कि उसे वेश्या, वाहन, विमान, कन्या, वस्त्र तथा आभूषण आदि जो श्रेष्ठवस्तु गुप्तचरों से मालूम होती थीं, उन सबको शुरवीर माली बलात् अपने यहाँ बुला लेता था, क्योंकि विद्या, बल, विभुति आदि से यह अपने आपको श्रेष्ठ मानता था। राजा मम ने गुप्तचरों द्वारा दशानन के महल का पता लगाया था" । गद्यचिन्तामणि और क्षत्रचूडामणि के अनुसार बड़ी सावधानी के साथ गुप्तचररूपी नेत्रों को प्रेरित करने वाले जीवन्धर स्वामी शत्रु मित्र और उदासीन राजाओं के देशों में उनके द्वारा अज्ञात समाचार को भी जान लेते थे। राजा के राज्य कार्य के देखने में गुप्तचर और विचार शक्ति ही नेत्र का काम देती है। नेत्र तो केवल मुख को शोभा और दृश्य के दर्शन के लिए होते हैं। गुप्तचरों के कारण एक स्थान पर स्थित रहता हुआ भी राजा अपने तथा दूसरे राज्य की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त करता था। इस प्रकार उसकी स्थिति सूर्य और चन्द्रमा से भी विशिष्ट श्री । सूर्य सारे संसार का परिभ्रमण कर आताप देता है । चन्द्रमा भी संचार करता हुआ सृष्टि को अपनी चाँदनी से आह्लादित करता है, किन्तु राजा राजधानी में रहता हुआ भी गुप्तचरों द्वारा स्थावर तथा जंगम संसार की पूर्ण जानकारी रखता है और उन पर प्रसाद तथा निग्रह करता हुँ । .. गुप्तचरों की नियुक्ति कृषि के क्षेत्र में किसानी, बाह्य प्रदेश में ग्वालों, जंगलों में भीलां, शहरों में व्यवसायियों, देश की सीमाओं पर योगियों, राजाओं राजपुत्र, कुटुम्बियों तथा मंत्रियों मैं उनके कर्मचारियों तथा अन्तःपुर में बहिरों और कुबड़ों को गुप्तचर बनाया जाता था । गुप्तचरों के गुण - सन्तोष, अमन्दता (आलस्य का न होना), सत्य भाषण और विचारशक्ति ये गुप्तचरों के गुण हैं | गुप्तचरों के भेद - गुप्तचर 34 प्रकार के होते हैं। इनमें से कुछ अवस्थायी (अपने ही देश मैं रहने वाले) और कुछ यायी (बाहर जाने वाले) होते हैं" । गुप्तचरों के 34 भेद निम्नलिखित हैं" । छात्र दूसरे के रहस्य का ज्ञाता गुप्तचर । कर्नाटक- किसी भी शास्त्र को पढ़कर छात्रवेश में रहने वाला गुप्तचर | - उदास्थित - बहुत से शिष्यों वाला, बुद्धि की तौक्ष्णता से युक्त, राजा द्वारा निश्चित जोविका को प्राप्त गुप्तचर उदास्थित कहलाता है । गृहपति कृषक वेष में रहने वाला गुप्तचर गृहपति है । वैदेशिक जो गुप्तचर सेठ के वेष में रहता है - तापस बाह्य व्रत और विद्या के द्वारा उगने वाला गुप्तचर तापस है I किरात जिसके शरीर के अंग छोटे हों, उसे किरात कहते हैं। यमपट्टिक - प्रत्येक घर में जाकर चित्रपट दिखाने वाला और गला फाड़कर चिल्लाने वाला गुप्तचर यमपट्टिक है। अहितुण्डिक सर्पक्रीड़ा में चतुर गुप्चतर अहितुण्डिक है। शौण्डिक शराब बेचने वाले के वेष में वर्तमान गुप्तचर । शौभिक रात्रि में पर्दा लगाकर रूप प्रदर्शन करने वाला - - -
SR No.090203
Book TitleJain Rajnaitik Chintan Dhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Jain
PublisherArunkumar Shastri
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Culture
File Size4 MB
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