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________________ में प्रमाण 143, पराजित के लक्षण 143, ५५५ : आवाः १६.:: 14:, ६. ..दे । 144, दण्डनीति का प्रारम्भिक इतिहास 144, दण्ड और उसके भेद 144, प्रशासन की स्थिति 145, प्रशासन की सुव्यवस्था हेतु राजकीय कर्तव्य 146, ग्राम्य सगंठन 146, ग्रामीण एवं नागरिक शासन पद्धति 146, पुलिस व्यवस्था 146, प्रान्तीय शासन पद्धति 147 दशम अध्याय अन्तराष्ट्रीय सम्बन्ध - दूत और उसका महत्व 149, दूत का लक्षण 149, दूत के गुण 149, दूत की योग्यतायें 149, दुतों के भेद 150, निसृष्टार्थ 150, परिमितार्थ 150, शासनहारी 150. दूतों के कार्य 150 दूतों से सुरक्षा 151, शत्रुप्रेषित लेख तथा उपहार के विषय में राजकर्तव्य 151, दुत के प्रति राजकर्ता 151, लेख की प्रमाणता 151, गुप्तचर और उनका महत्त्व 152, गुप्तचरों की नियुक्ति 152, गुप्तचरों के गुण 152, गुप्तचरों के भेद 152, छात्र 152, कपटिक 152. उदास्थित 152, गृहपत्ति 152, येदेहिक 152, तापस 152, किरात 152, यमपट्टिक 152. अहिंतुण्डिक 152, शोण्डिक 152, शोभिक 152. पाटच्चर 153, बिट 153, विदूषक 153. पीतमदं 153, नास्तिक 153, गायक 153, वादक 153, वाग्जोवो 153, गणक 153. शाकुनिक 153, भिषगृ 153, ऐन्द्रजात्तिक 153, नैमित्तिक 153, सूद 153, आरालिक 153, संवाक 153. सीक्ष्ण 153, 'कुर 153, रसद 153. गुप्त रहस्य की रक्षा 153, गुप्तचर रहित राजा को हानि 153, गुप्तचर के वचनों की प्रमाणता 153, गुप्तरहस्य प्रकाशन की अवधि 154, गुप्तचरों का कर्तव्य 154, गुप्तचरों का वेतन 354, तोन शक्तियां 154, मन्त्रशक्ति 154. उत्साह शक्ति 154, पाइगुण्य सिद्धान्त 154, विग्रह 155, यान 155, आसन 155, संश्रय 155, द्वैधीभाव 156, उपाय 156. साम 156, सामनीति के भेद 158, दान 156, स्थान 159, भेद तथा दण्ड के प्रयोग का अवसर 159, दण्ड 159, भेद 160, उपायों का सम्यक् प्रयोग 160, नीतिमार्ग 161 एकादश अध्याय उपसंहार - राग्य 165, राजा की आवश्यकता 166, राजा की महत्ता 166, राजा में नैतिक गुणों की अनिवार्यता 166, सुशिक्षित राजकुमार 166, दोषपूर्ण राजा 167. राजा के सहायक 168, सहायकों के प्रति राजा के कर्त्तव्य 169, अर्थव्यवस्था 169, लोकरक्षा के लिए किए गए निर्माण कार्य 169, सैन्यशक्ति 170, मित्रशक्ति 170, नागरिक और ग्राम्य शक्ति 171, दृतों की भूमिका 171, वार प्रचार 171, शक्तित्रय 171, बाङाग्य 171, शत्रुओं का प्रतीकार 171. विधान 171, न्याय व्यवस्था 172
SR No.090203
Book TitleJain Rajnaitik Chintan Dhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Jain
PublisherArunkumar Shastri
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Culture
File Size4 MB
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